जब सेमिनार में आये एक डॉक्टर ने डॉ. अजय हार्डिया की तुलना महात्मा गांधी से किया: सिकेन शेखर बाजपेयी
इंदौर में 21 मार्च 2021 को इलेक्ट्रो होम्योपैथी पर एक सेमिनार का आयोजन होना था। मैं भी मुंबई से इंदौर के लिए 19 मार्च को ही निकल गया था। मुंबई सेंट्रल रेलवे स्टेशन से मेरी ट्रेन थी। स्टेशन पर पहुँचने के बाद से मैं इंदौर में आयोजित हो रहे इलेक्ट्रो होम्योपैथी सेमिनार 2021 को अपने नजरिया से देख रहा था। इलेक्ट्रो होम्योपैथी के विस्तार से लेकर सामने पनप रही चुनौतियों पर मैं एक समान हल्ला बोलता हूँ। कई दिन-रात एक करके मैंने भी इलेक्ट्रो होम्योपैथी के प्रचार प्रसार के लिए लिखा है।
जब इस लेख को लिख रहा हूँ तो इस वक्त समय 2 बजकर 15 मिनट का हो चला है। आधी रात के इस समय में भी मैं इलेक्ट्रो होम्योपैथी के जाप में लगा हूँ। मुझे नहीं मालूम आपमें से वो कौन कौन से लोग हैं जो इलेक्ट्रो होम्योपैथी के प्रचार प्रसार के लिए आप अपनी नींद को आज भी हर रोज त्याग रहे हैं।
बहरहाल, 20 मार्च की सुबह 11 बजे इंदौर स्थित देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल में मैं दस्तक दे चूका था। यह स्थान मेरे लिए बहुत असामान्य इस लिए भी है क्योंकि इस हॉस्पिटल के माध्यम से भारत में सबसे कम समय में सबसे अधिक लोगों तक इलेक्ट्रो होम्योपैथी की पहचान विकसित हुई हैं और संस्थान के निदेशक से लेकर तमाम अधिकारीयों की भी कोशिश निरंतर जारी है। मेरी पहली और ऑफिसियल ग्रीट देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल के उप निदेशक डॉ. आशीष हार्डिया जी से हुई। उसके बाद देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल के निदेशक डॉ. अजय हार्डिया जी के साथ। तब दिन के 12 बज चुके थे। इवेंट की तैयारी पर हम सब की नज़र आधी रात के 12 बजे तक थी।
इन तमाम स्थिति में डॉ. अजय हार्डिया जी की नज़र इलेक्ट्रो होम्योपैथी दवा से देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल में मिल रहे जादुई परिणाम पर थी। सेमिनार के पूर्व संध्या पर 9 बजे कार्यक्रम में जुड़ने का वक्त हमलोगों ने निर्धारित किया था मगर उस समय कुछ आवश्यक कार्यों की वजह से यह साक्षात्कार नहीं हो पाया। इस साक्षात्कार को हमने 22 मार्च 2021 को सफलता पूर्वक किया। इलेक्ट्रो होम्योपैथी विषय पर एक या दो साक्षात्कार में कभी संभव नहीं चर्चा के दायरे को समेटने की, तो ऐसे में मेरी आगे भी कोशिश होगी इस विषय पर हर छोटी बड़ी जानकारी आपके बीच डॉ. अजय हार्डिया जी की मदद से लेकर आऊं।
21 मार्च 2021 की सुबह मैं अपनी तैयारी में लगा था। सेमिनार में शिरकत कर रहे तमाम सम्मानित चिकित्सकों के सामने मैं कुछ सवाल रखना चाह रहा था। क्योंकि मैं इस इवेंट को होस्ट नहीं कर रहा था। और जब कभी भी मैं किसी इवेंट का हिस्सा होता हूँ तो इवेंट की जरुरत क्यों? विषय पर सबसे ज्यादा जोड़ देता हूँ। एक आम जनता अगर 4 सवाल पूछकऱ समझ सकता है तो मैं कोशिश करता हूँ कि 5 सवाल पूछ लूं ताकि अपने दर्शकों के सामने सेमिनार आयोजित करने के पीछे के हर वजह अस्पष्ट हो। 21 मार्च की सुबह जिन शब्दों के जरिये मैंने सेमिनार में शिरकत करने के पहले सम्मानित चिकित्सकों के सामने जो सवाल रखा था उसे आप भी पढ़िए।
“21 मार्च 2021 का दिन आज एक बार फिर से ऐतिहासिक होने जा रहा है। इलेक्ट्रो होम्योपैथी के लिए इस वक्त के हालात जितना नाजुक है उतना ही गर्व से भरा है और आज इस तथ्य को एक बार फिर से हमें जानने और समझने की जरूरत है। नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ इलेक्ट्रो होम्योपैथी और देवी अहिल्या हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के मंच पर आज सेमिनार के माध्यम से कई मुद्दों को एक बार पुनः हम सभी टटोलेंगे। मगर सबसे महत्वपूर्ण सवाल यह कि आज का सेमिनार कितना भिन्न होगा अन्य संस्थानों के मंचों से? आज के सेमिनार में इलेक्ट्रो होम्योपैथी से संम्बन्धित वो तमाम कौन से मुद्दे हैं जिसे समझकर चिकित्सा के क्षेत्र में बुलंदियों को छूने की जरुरत है? दरअसल जिन मुद्दों के जरिये इलेक्ट्रो होम्योपैथी के विकास में जो रोड मैप विकसित करने है हमसे कितना दूर है और कितना पास? सेमिनार के दौरान Nervous System Disorders: मस्तिष्क संबंधित बीमारियां (हिस्टीरिया एपिलेप्सी, साइकोलॉजिकल बीमारियां), Respiratory System Disorders: फेफड़ों से संबंधित बीमारियां, (Any Types Lungs Infections), Cardiovascular Disorders: हृदय सम्बंधी रोग, Renal Excretory System Disorders: किडनी सम्बंधित रोग, मरीज को डायलिसिस से बचाना, Gastro Intestinal Tract Disorders: लीवर स्प्लीन, गाल स्टोन समस्त प्रकार के त्वचा रोग आदि विषय पर भी चर्चा होगी। लेकिन इसके साथ सम्मानित चिकित्स्कों के लिए इन क्षेत्रों में कितनी विस्तार की सम्भावना है? इस सवाल पर भी आज हम सभी की निगाहें होनी चाहिए। इलेक्ट्रो होम्योपैथी में हो रहे नए प्रयोगों को लेकर डॉ. अजय हार्डिया जी हम सभी के बीच कई सवालों के जरिये इस महत्वपूर्ण विषय को समझाने की कोशिश में नज़र आएंगे तो वही डॉ. आशीष जी भी इलेक्ट्रो होम्योपैथी के इनक्रेडिबल एक्सपीरिएंस को साझा करते हुए इस मंच नजर आने वाले हैं। उम्मीद है आज के दिन को हम सभी मिलकर इलेक्ट्रो होम्योपैथी के ऐतिहासिक दिन में शुमार करने की कोशिश में सफल होंगे।”
ये वो शब्द थे जिसे सम्मानित चिकित्सकों से साझा करने के बाद मैं सुकून में था। सेशन एक के बाद एक शुरू होता गया। सम्मानित चिकित्सकगण हर सेशन को एन्जॉय कर रहे थे। मेरी नज़र अंतराल के वक्त प्रतिक्रिया लेने की थी। बियॉन्ड दी थर्ड के कैमरे के सामने अब सीधा सवाल का वक्त था। सबसे पहले डॉ. अजय हार्डिया जी ने जो हम सभी से संदेश साझा किये उसे आप सुनिए।
सेमिनार में आये एक डॉक्टर ने डॉ. अजय हार्डिया की तुलना महात्मा गांधी से किया
इसके बाद मेरी कोशिश थी प्रत्येक चिकित्सक से जुड़ने की। उसी दौरान गुजरात से आये एक चिकित्सक ने कुछ ऐसा कहा, ये जो हार्डिया साहब ने जो काम किये हैं यह काम गाँधी जी जैसा है। किसी को तो निकलना पड़ेगा। उन्होंने अपना नहीं सोचा है। हर इलेक्ट्रो होम्योपैथी प्रैक्टिशनर में क्या कमी है उसे पूरा करने के लिए यह सेमिनार का पहला दिन है। आगे चलकर इसे पूरा इंडिया में करना है। यहीं कहूंगा कि हार्डिया साहब ने बहुत बड़ा ज्वाला खड़ा किये हैं।
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