डॉ. कॉउंट सीजर मैटी जी की 127वीं पुण्यतिथि पर पढ़िए डॉ. अजय हार्डिया के आलेख

आज डॉ. कॉउंट सीजर मैटी जी को भारत याद कर रहा है। इसके साथ इटली के रिओला पोंटे स्थित अलवर आल्टो के चर्च में भी कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। इसकी जानकारी आर्काइवो म्यूजिओ सीजर मैटी ए पी एस की ओर से सोशल मीडिया पर दी गई है। इलेक्ट्रो होम्योपैथी के जनक डॉ. कॉउंट सीजर मैटी जी की आज 127वीं पुण्यतिथि है। इस दौरान इटली के कलाकार मिशेल वेंटुरी, घेरार्डो ज़ुबेर व् वेलेंटीना ने अपने सुखद संगीत के माध्यम से डॉ. कॉउंट सीजर मैटी जी को श्रद्धांजलि दिए हैं, लेकिन इससे कुछ महत्वपूर्ण बातें हैं जो आपसे मैं साझा करना चाहता हूँ।

3 अप्रैल 1896 का जिक्र करूं उससे पहले 1895 को आपको समझना होगा। डॉ. कॉउंट सीजर मैटी जी की छवि को धूमिल की जा रही थी। एलोपैथिक चिकित्सकों के साथ उस दौर में निरंतर विवादें बढ़ती जा रही थी। कोंडेस्कु द्वारा 1895 में ही उन्हें जहर वाली तुर्की कॉफी परोस कर मारने की कोशिश भी हुई थी। उसके बाद फिर खबर आती है कि 3 अप्रैल 1896 को डॉ. कॉउंट सीजर मैटी का 87 वर्ष की आयु में निधन। जेफिरिनो तरुफी (किसान) द्वारा अपने खाता बही के कवर पर बनाए गए नोट्स के अनुसार, ताबूत को पोरेटा के संगीत के सम्मान के साथ सविग्नानो के छोटे चर्च में लाया जाता है।

उस वक्त डॉ. कॉउंट सीजर मैटी जी के परिवार से मिलने के लिए तक़रीबन दो हज़ार लोग मौजूद होते हैं। इतिहास की कई वो बातें हैं जो हमें इन मुद्दों पर कई संदर्भ में बातें करने के लिए प्रेरित करती है। इतिहास में हमने कई महापुरषों को साजिश का शिकार होते पढ़ा है, देखा है और इसका इतिहास गवाह भी है, मगर मौजूदा स्थिति में इलेक्ट्रो होम्योपैथी कहां है? इलेक्ट्रो होम्योपैथी के साथियों से एक जानकारी साझा करूंगा कि जब आईडीसी की बैठक आयोजित की गई थी तब मैंने सरकार के अधिकारीयों को देवी अहिल्या हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर में चल रहे तमाम गतिविधि की जानकारी लेने व् जाँच करने लिए आमंत्रित किया था। कुछ वक्त बाद जब सरकार द्वारा किसी तरह की एक्शन नहीं ली गई तो हमारी टीम द्वारा पीएमओ को भी इस बात की जानकारी दी गई, तो इसके जवाब में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार के उप सचिव मोहन लाल जी द्वारा पत्र के माध्यम से हमें इस बात की जानकारी दी।

”विषय: इलेक्ट्रो होम्योपैथी के माध्यम से भारत में कैंसर रोगियों के इलाज के लिए कदम के सबंध में। महोदय, आपकी याचिका की सामग्री पर ध्यान दिया गया है। हालांकि, यह कहा जा सकता है कि, वर्तमान में, इलेक्ट्रो होम्योपैथी भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त स्वास्थ्य देखभाल की प्रणाली नहीं है। प्रणाली की मान्यता के मुद्दे की वर्तमान में सरकार द्वारा गठित एक समिति द्वारा जांच की जा रही है। इसलिए, आपकी याचिका में उठाए गए मुद्दों पर विचार तभी हो सकता है जब इलेक्ट्रो होम्योपैथी की प्रणाली को सरकार द्वारा मान्यता दी जाए”।

दरअसल यह जवाब था। पीएमओ के भी इतिहास में यह याद किया जायेगा जब सरकार के सामने 8 लाख से अधिक कैंसर मरीज एक वर्ष में मृत्यु के शिकार हो रहे थे तो स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अधिकारीयों को दिल्ली से इंदौर आना मुनासिब नहीं लगा।
इस बात को कहने में कोई गुरेज नहीं है कि इलेक्ट्रो होम्योपैथी के लिए भारत का स्वास्थ्य मंत्रालय फ़िलहाल सक्रिय भूमिका निभाना नहीं चाहता। हम सभी का तो संघर्ष का इतिहास रहा है। संघर्ष का वर्तमान भी है। संघर्ष का भविष्य रहेगा। मैटी साहब भी अपने दौर में इन उलझनों को खूब देखें, डॉ. एन एल सिन्हा जी के बारे में तो हिंदुस्तान ने अपने जमीं पर इतिहास को लिखा है।

मौजूदा वक्त में सरकार अगर पैसिव भूमिका में फिट है तो मुझे लगता है कि हमें अपनी जिम्मेदारी को और बढ़ाने की जरूरत है। अपने संकल्पों के साथ और तेज़ी से बढ़ने की जरूरत है। हमारा मुख्य उदेश्य आम जन के स्वास्थ्य लाभ में भूमिका अदा करना है तो अपने उदेश्यों की प्राप्ति के लिए डॉ. कॉउंट सीजर मैटी जी के संघर्षों को यादकर, खुद को प्रेरित करते हुए इस नेक कार्य को करते हुए आगे बढ़ते रहना है। इलेक्ट्रो होम्योपैथी के जनक व् पितृ पुरुष, विश्व को मानव विज्ञान की सेवा हेतु सिस्टम ऑफ़ मेडिसिन में सबसे आधुनिक और सर्वोत्तम दवा के रूप में उपहार देने वाले हम सभी के प्रेरक, युगद्रष्टा व् महान चिकित्सक डॉ. कॉउंट सीजर मैटी जी को उनकी पुण्यतिथि पर सादर नमन- डॉ. अजय हार्डिया, निदेशक, देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल इंदौर।

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devi ahilya April 3, 2023 0 Comments

पिछले पांच वर्षों में इलेक्ट्रो होम्योपैथी की विश्वसनीयता का ग्राफ हमने लगातार बढ़ते देखा है: डॉ. अजय हार्डिया

देवी अहिल्या हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर संस्थान के निदेशक के तौर पर जब आगे बढ़ रहे हैं तो हमारे सामने समय समय पर विभिन्न चुनौतियाँ मौजूद रहती हैं और इन चुनौतियों को सही समय पर स्वीकार कर इसके विपरीत सही एक्शन लेना हमारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। हम ऐसा नहीं कहते हैं कि पिछले पांच वर्षों में ही यह ग्राफ लगातार बढ़ते नज़र आ रहा है। इलेक्ट्रो होम्योपैथी का इतिहास का कनेक्शन तो 15 अक्टूबर 1848 से भी जुड़ा है, जब डॉ. काउंट सीजर मैटी जी ने आधिकारिक तौर पर राजनीतिक जीवन को त्यागकर दवा के अध्ययन के लिए पूरा समय देना शुरू कर दिया। इससे उच्चतम ग्राफ कुछ और नहीं हो सकता, क्योंकि इसी सफर के दौरान उनका अनुभव कहता है कि भगवान द्वारा निर्मित औषधि वनस्पतियों से गंभीर से गंभीर बीमारी के साथ कैंसर का भी इलाज किया जा सकता है। इस कोशिश में वह 1849 से अपनी प्रणाली विकसित करना शुरू करते हैं, फिर 1865 का इतिहास जब इलेक्ट्रो होम्योपैथी हमारे सामने होता है। इन तमाम ऐतिहासिक दिनों को हमें बहुत अदब के साथ अपनी यात्रा में गजह देना होगा। देखिये, आज इन बातों को रखने का हमारा सिर्फ एक उदेश्य है, जब मैंने 10 फरवरी 2023 को आपके समक्ष सोशल मीडिया के माध्यम से एक संदेश रखा था तो मैंने कहा था कि एक कलेक्टिव गोल निर्धारित करना चाहते हैं, जिसका मुख्य उदेश्य फर्स्ट और सेकेंड स्टेज के कैंसर मरीजों का इलाज शुरुआती दिनों में इलेक्ट्रो होम्योपैथी के माध्यम से सुनिश्चित करना है। अगर हम ऐसा करने में सफल होते हैं तो यकीनन इस राष्ट्र के लाखों कैंसर मरीजों के जीवन को सुरक्षित बचा सकते हैं। दरअसल इसे हम वर्ष 2023 के लिए चुनौती समझते हैं। अभी हाल ही में रेडियो सिटी मुंबई के साथ जब एक साक्षात्कार में मुझसे सबसे बड़ी चुनौती के बारे में पूछा गया तो मैंने इसी बात को स्पष्ट रूप से उस प्लेटफार्म पर भी रखा। इस चुनौती को स्वीकार करने के दौरान ही हमें अब ऐसे भी मरीज संपर्क कर रहे हैं जो कैंसर के लक्षण के दौरान अगर उन्हें एहसास होता है कि यह तकलीफ कहीं कैंसर तो नहीं? तो उस हाल में वे बीमारी सम्बन्धित तमाम सवालों की जानकारी ले रहे हैं। इलेक्ट्रो होम्योपैथी के माध्यम से क्या संभव इलाज है इस संबंध में भी वे संभावनाएं तलाश रहे हैं। सही दिशा में आगे बढ़ने के दौरान यह एक सही संकेत के साथ सकारात्मक परिणाम का भी असर है। यह हमें एहसास दिलाता है कि विश्वसनीयता का ग्राफ लगातार बढ़ है। इलेक्ट्रो होम्योपैथी के संदर्भ में जागरूकता के लिए निरंतर प्रयास कर रहे आप तमाम चिकित्सकों का बहुत बहुत धन्यवाद: डॉ. अजय हार्डिया, निदेशक, देवी अहिल्या हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर।

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devi ahilya April 1, 2023 0 Comments

देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल इंदौर | मरीजों की प्रतिक्रिया | मार्च 2023

गॉल ब्लैडर लिवर मेटास्टेसिस कैंसर के इलाज में सर्जरी और कीमो के बाद बढ़ी थी तकलीफें, देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल इंदौर में आकर इलेक्ट्रो होम्योपैथी के इलाज से मिली राहत।

#FightAgainstCancer: कैंसर के इलाज में आइये हम सभी मिलकर नया भारत बनाते हैं।

मुंह कैंसर के इलाज के दौरान मिली बड़ी राहत, कीमो, रेडिएशन और सर्जरी ने बढ़ाई थी तकलीफें

इलेक्ट्रो होम्योपैथी द्वारा Pancreatic Cancer के इलाज में भी बेहतर परिणाम

मुंह कैंसर का इलाज कराकर जी रहे हैं सामान्य जिंदगी | Devi Ahilya Cancer Hospital Indore

सर्वाइकल कैंसर के इलाज के बाद सुनिए इन्होंने क्या कहा… #CervicalCancer #PatientFeedback

लंग कैंसर के इलाज के दौरान देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल में पहले दिन से ही मिली बड़ी राहत. #LungCancer

पेट कैंसर में इलेक्ट्रो होम्योपैथी के माध्यम से इलाज पर जानिए क्या रही प्रतिक्रिया

मुंह कैंसर मरीज का बयान: एक हप्ते में सबसे बड़ी कामयाबी मॉर्फिन से निजात

Lymphoma Cancer | Patient Feedback | Devi Ahilya Cancer Hospital Indore | Best Treatment

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devi ahilya April 1, 2023 0 Comments

कैंसर बीमारी के संदर्भ में भारत की स्थिति नाजुक

दिनांक 4 फरवरी 2023 दिन शनिवार को देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल इंदौर द्वारा विश्व कैंसर दिवस के अवसर पर इंदौर के राजवाड़ा से महात्मा गाँधी स्टैचू रीगल स्क्वायर तक जागरूकता रैली का आयोजन किया गया। इस जागरूकता रैली में देवी अहिल्या नर्सिंग कॉलेज एंड एसोसिएटेड हॉस्पिटल के तक़रीबन सैकड़ों छात्र-छात्राओं ने भी हिस्सा लिया। आपको बता दें, देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल के निदेशक डॉ. अजय हार्डिया इस विश्व कैंसर दिवस पर ‘कैंसर की जंग जीतेंगे हम’ के थीम के साथ देशवासियों के समक्ष कैंसर बीमारी के खिलाफ आवाज बुलंद कर रहे हैं।

देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल भारत का पहला इलेक्ट्रो होम्योपैथी पद्धति पर आधारित कैंसर हॉस्पिटल है जहां बिना कीमो बिना रेडिएशन से थर्ड और फोर्थ स्टेज के कैंसर मरीजों का इलाज किया जा रहा है।

जागरूकता रैली के दौरान देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल के उप निदेशक डॉ. आशीष हार्डिया ने कहा कि यह समय की मांग है कि कैंसर बीमारी के बारे में जागरूकता बढ़ाने के साथ साथ कैंसर से निपटने के व्यावहारिक रणनीति अपनाएं। कैंसर बीमारी के संदर्भ में उन्होंने कहा कि भारत की स्थिति बहुत नाजुक हो गई है। हम इस दौर से गुजर रहे हैं जहां कैंसर मरीजों को बिना इलाज के अस्पताल के दरवाजे से खाली हाथ लौटना पड़ रहा है। लगातार देश में कैंसर मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। आगे उन्होंने कहा कि मौजूदा आकड़ों पर बात करें तो देश में हर घंटे 166 नए कैंसर मरीज सामने आ रहे हैं, वर्ष 2022 में तक़रीबन 8 लाख 9 हज़ार कैंसर मरीजों की मृत्यु हो चुकी है और सरकार के पास इस चुनौती से निपटने के लिए कोई पर्याप्त रणनीति नहीं है।

आगे उन्होंने कहा कि इस चुनौती के विपरीत मशहूर कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. अजय हार्डिया द्वारा इलेक्ट्रो होम्योपैथी में की गई शोध अब कैंसर जैसी बीमारी को मात दे रही है, मगर सरकार के स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस दिशा में किसी भी तरह की पहल नहीं की जा रही है, जिससे इस वक्त लाखों मरीजों को कैंसर से होने वाले असहनीय दर्द व् अन्य तकलीफों का सामना करना पड़ रहा है।
डॉ. आशीष हार्डिया ने आगे कहा कि मैं इस कैंसर दिवस पर राज्य व् देश के स्वास्थ्य विभाग से सम्बंधित उन सभी अधिकारीयों से अपील करना चाहता हूँ कि वे इंदौर स्थित देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल में आकर अब तक हुए शोध के परिणाम को देखें और कैंसर मरीजों की रक्षा हेतु अविलंब पहल करें।

इस जागरूकता रैली के दौरान इंदौर के सड़कों पर ‘कैंसर की जंग जीतेंगे हम’ कि आवाज गूंज उठी, जब देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल की टीम अपने कदम एक साथ बढ़ा रही थी। इस दौरान तक़रीबन दो दर्जन अन्य नारों को भी लगाया गया जिससे कैंसर जैसी गंभीर बीमारी के विरुद्ध देशवाशियों को जागरूक किया जा सके। जिसमें मुख्य रूप से ‘डरना नहीं, लड़ना है – कैंसर को हराना है’, ‘कैंसर हारेगा, देश जीतेगा’, ‘आओ धुआँ-मुक्त पर्यावरण देने में पहल करें’, ‘सिगरेट की आदत, कैंसर को दावत’, ‘इंदौर को सुन्दर स्वस्थ बनाना है- कैंसर को भगाना है’, ‘बीमारी नहीं महामारी है- कैंसर दुनिया पर भारी है’, ‘तम्बाकू से नाता तोड़ो- स्वस्थ जीवन से नाता जोड़ो’ आदि नारा शामिल रहा।

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devi ahilya March 20, 2023 0 Comments

कैंसर की जंग जीतेंगे हम

‘कैंसर की जंग जीतेंगे हम’ शीर्षक के साथ प्रकाशित हुआ देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल के निदेशक व् मशहूर कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. अजय हार्डिया का आलेख, आलेख के जरिये मौजूदा सरकार से दर्जनों सवाल, डॉ. हार्डिया ने राष्ट्र के मौजूदा नेतृत्व पर बड़ा आरोप भी लगाया, आलेख में स्पष्ट लिखा ‘स्वास्थ्य को लकेर राष्ट्र का मौजूदा नेतृत्व गंभीर नहीं’। पढ़िए विश्व कैंसर दिवस पर देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल इंदौर के निदेशक व् मशहूर कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. अजय हार्डिया का आलेख।


आज विश्व कैंसर दिवस है। विश्व कैंसर दिवस 4 फरवरी को कैंसर के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इसकी रोकथाम, पहचान और उपचार को प्रोत्साहित करने के लिए मनाया जाता है। विश्व कैंसर दिवस का प्राथमिक लक्ष्य कैंसर बीमारी के कारण होने वाली मौतों को कम करना है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, कैंसर दुनिया भर में मौत के प्रमुख कारणों में से एक है। वर्ष 1993 में स्विट्जरलैंड के जेनेवा में यूनियन फॉर इंटरनेशनल कैंसर कंट्रोल द्वारा पहला अंतरराष्ट्रीय कैंसर दिवस मनाया गया। यह संस्था विश्व भर में कैंसर के उन्मूलन की दिशा में कार्य करती है और चिकित्सा अनुसंधान को भी आगे बढ़ा रही है।
विश्व कैंसर दिवस को वर्ष 2000 में कैंसर के खिलाफ पहले विश्व शिखर सम्मेलन में आधिकारिक दिवस बनाया गया था। यह आयोजन पेरिस में हुआ था और इसमें कैंसर संगठनों के सदस्यों और दुनिया भर के प्रमुख सरकारी नेताओं ने भाग लिया था। ‘कैंसर के खिलाफ पेरिस का चार्टर’ शीर्षक वाले एक दस्तावेज पर 10 लेखों को शामिल करते हुए हस्ताक्षर किए गए, जो कैंसर रोगियों की सुविधाओं और जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए एक वैश्विक प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है। साथ ही दस्तावेज में कैंसर के शोध, रोकथाम और उपचार में उन्नति और निवेश में वृद्धि पर भी प्रकाश डाला गया था। इस चार्टर के अनुच्छेद X ने आधिकारिक तौर पर 4 फरवरी को विश्व कैंसर दिवस मनाने की घोषणा की गई है।
कैंसर के कई प्रकार होते हैं, इसलिए एक विशिष्ट प्रकार के कैंसर को चिह्नित करने और इसके खिलाफ लड़ाई को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न रंगों और प्रतीकों का उपयोग किया जाता है। उदाहरण के लिए, नारंगी रिबन बच्चों में कैंसर के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए है, जबकि गुलाबी रिबन विश्व स्तर पर स्तन कैंसर जागरूकता से जुड़ा है।
वर्तमान में दुनिया भर में हर साल लगभग 1 करोड़ लोग कैंसर से दम तोड़ते हैं। अगर भारत की बात करें तो वर्ष 2022 में कैंसर के मामलों की अनुमानित संख्या 1461427 थी, जिसमें पुरुषों की तुलना में महिलाओं की संख्या अधिक देखी गई। महिलाओं की संख्या तकरीबन 749251 थी, जबकि पुरुषों की संख्या 712176 थी। महिलाओं और पुरुषों में सबसे अधिक कैंसर पाचन तंत्र के अंगों (288054), स्तन (221757), जेनिटल सिस्टम (218319), ओरल कैविटी व फैरिंक्स (198438) और श्वसन तंत्र (143062) में होता होता है, इसलिए समय की मांग है कि इस बीमारी के बारे में जागरूकता बढ़ाने के साथ साथ कैंसर से निपटने की व्यावहारिक रणनीति विकसित करना है।
अनुमान के मुताबिक इन तथ्यों से भी अधिक कैंसर मरीजों की संख्या इस वक्त भारत में है। इस देश के कई महिलाएं ऐसी भी हैं जो कैंसर की पीड़ा को सहती रहती हैं परन्तु वो जाँच व् इलाज के लिए अस्पताल के दरवाजे तक नहीं पहुंचती। विशेष रूप से भारत के कई क्षेत्रों व् समुदाय को चिन्हित करके हमें जागरूकता बढ़ाने के लिए आगे आना होगा। इन तथ्यों को हमें गंभीरता से लेना होगा। भारत की जमीं पर भारत के शीर्ष नेताओं के विकसित राष्ट्र और श्रेष्ठ भारत की तस्वीर में विश्व गुरु, विश्व में पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था, हिंदू राष्ट्र, 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी आदि न जाने कई नाम दिए जा रहे हैं परन्तु स्वस्थ भारत की तस्वीर के सामने ये तमाम सपने अधूरे हैं और इस सच को कौन दरकिनार करेगा कि स्वस्थ भारत ही असल मायनों में आम जन को समृद्धि के रास्तों पर ले जा सकता है।
1 फरवरी 2023 को वर्ष 2023-2024 तक के बजट पेश किये गए, चर्चा भी खूब हुई, मगर इस देश की स्थिति यह है कि ऊर्जा, आईटी, शिक्षा, रक्षा, परिवहन जैसे विभागों से भी कम बजट स्वास्थ्य के लिए आवंटित किए गए। इससे यह स्पष्ट होता है कि राष्ट्र का मौजूदा नेतृत्व स्वास्थ्य को लेकर गंभीर नहीं हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय की एक तस्वीर जानकर आपको आश्चर्य लगेगा कि इनके सामने कोविड को छोड़कर कोई दूसरी स्वास्थ्य की चुनौती नज़र नहीं आती।
पिछले कुछ वर्षों और महीनों से सरकार सक्रिय कोविड मरीजों की संख्या, चौबीस घंटों में जिन मरीजों को टीके लगाए गए उनकी संख्या, कोविड से स्वस्थ होने वाले मरीजों की संख्या आदि गैर जरूरी संख्या को गिनने में समय व्यर्थ करके, अन्य बिमारियों की संख्या को दरकिनार करके विश्व में नाम कमाने की कोशिश में लगी है। ऐसे में आपको समझना होगा कि जब एक घंटे में देश में कैंसर के 166 मरीजों की पुष्टि हुई तो सरकार क्यों लापरवाही कर रही है? क्या वजह है कि सरकार कैंसर बीमारी को लेकर गंभीर नहीं है? इस सवाल का जवाब आपको सरकार से पूछने की जरूरत है।
इस चुनौती के सामने अब आपको देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल इंदौर की भूमिका को भी समझना होगा, क्योंकि देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल इंदौर द्वारा कई ऐसे दवाओं के शोध किये गए हैं जिन दवाओं के इस्तेमाल से कैंसर के विभिन्न तकलीफों में राहत मिलती है।
देवी अहिल्या हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के कैंसर पेन एंड पैलिएटिव केयर सेंटर में वर्ष 2019 से कैंसर विषय पर एक नई दिशा में कार्य किया जा रहा है, जिसमें कैंसर रोग के इलाज सम्बंधित नए नए शोध मुख्य रूप से शामिल हैं। इस दौरान कई इलेक्ट्रो होम्योपैथी के माध्यम से दवा की खोज भी की गई है जिससे कैंसर मरीजों के असहनीय दर्द से लेकर अन्य तकलीफों में तुरंत राहत मिलती है। सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय के लिए यह संस्थान वाकई में एक नया अध्याय है और मंत्रालय द्वारा इस दिशा में कार्य किया जाना भी इस समय की मांग। इस संदर्भ में हमने भारत के स्वास्थ्य मंत्री व् अन्य राज्यों के भी स्वास्थ्य मंत्री को पत्र लिखा है, परन्तु कोई एक मंत्री भी सक्रिय नज़र नहीं आये। यह घटना हमें बतलाती है कि हमारा नेतृत्व सही लोगों के हाथों में नहीं है।
कैंसर पेन एंड पैलिएटिव केयर सेंटर का हमारा मुख्य उदेश्य कैंसर मरीजों के जीवन में खोई खुशहाली को पूर्ण रूप से वापस लाकर उन्हें एहसास दिलाना है कि ऊर्जा आधारित अविश्वसनीय मेडिकल साइंस ‘इलेक्ट्रो होम्योपैथी’ के माध्यम से कैंसर जैसी गंभीर बीमारी को भी हम हरा सकते हैं।
हमें स्वस्थ भारत की निर्माण की दिशा में कार्य करने के लिए कुछ कारकों को जानना बेहद जरूरी है, जो कैंसर होने की संभावना को बढ़ाते हैं। हमें इस घातक स्थिति से खुद को बचाने के लिए संभावित कार्सिनोजेनिक कारकों के संपर्क में आने से बचना होगा। हालांकि, अनुवांशिक कारणों से होने वाले कैंसर को रोकना हमारे बस में नहीं है, जो कैंसर होने का एक प्रमुख जोखिम कारक है।
तंबाकू या सिगरेट में मौजूद निकोटीन के सेवन से शरीर के किसी भी अंग में कैंसर हो सकता है। तंबाकू और धूम्रपान करने से आमतौर पर मुंह का कैंसर, फेफड़ों का कैंसर, एलिमेंटरी ट्रैक्ट और पैंक्रियाटिक कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है। परिवार में यदि कैंसर होने की हिस्ट्री है, तो इस खतरनाक बीमारी के होने की संभावना काफी हद तक बढ़ जाती है। पर्यावरण में कार्सिनोजेन्स का होना भी एक प्रमुख कारण में एक है। हम जो कुछ भी खाते या पीते हैं, जिस हवा में हम सांस लेते हैं, उनमें कई ऐसे तत्व या पदार्थ मौजूद होते हैं, जो कैंसर होने की जोखिम को बढ़ाने की क्षमता रखते हैं।
एज्बेस्टस, बेंजीन, आर्सेनिक, निकल जैसे कम्पाउंड फेफड़े के कैंसर के अलावा कई अन्य कैंसर होने के जोखिम को बढ़ाते हैं। कैंसर होने के अन्य कारणों में हमारी फूड हैबिट भी शामिल है। आजकल अधिकतर फल और सब्जियां कीटनाशकों से दूषित होते हैं, जिनके सेवन से शरीर पर अवांछनीय प्रभाव पड़ता है। दोबारा गर्म किए गए भोजन, अधिक पके हुए भोजन, दोबारा गर्म किए गए तेल कार्सिनोजेनिक हो जाते हैं। कल-कारखानों से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थों की वजह से प्रदूषित जल भी काफी नुकसानदायक होता है, क्योंकि इसमें खनिजों की मात्रा अधिक होती है।
कैंसर होने के संभावित कारणों में वायरस भी एक कारण है। हेपेटाइटिस बी और सी वायरस लिवर कैंसर के लिए 50 प्रतिशत तक जिम्मेदार होते हैं, जबकि ह्यूमन पैपिलोमा वायरस 99.9% मामलों में सर्वाइकल कैंसर होने के लिए जिम्मेदार होता है। साथ ही, रेडिएशन और सन एक्सपोजर भी कैंसर के जोखिम को काफी हद तक बढ़ाते हैं। हमें हर हाल में खुद को स्वस्थ रखने के लिए पौष्टिक आहार लेने की आदत के साथ साथ अपने उम्र के हिसाब से वजन का विशेष ख्याल रखना चाहिए। साथ ही व्यायाम भी प्रत्येक दिन करने की आदत अपनानी चाहिए। कैंसर का सर्वोत्तम उपचार बचाव है। यदि मनुष्य अपनी जीवन शैली में कुछ परिवर्तन करने को तैयार हो तो 60 से 70 प्रतिशत मामलों में कैंसर होने से पूर्णतः रोका जा सकता है।
कैंसर के अगर प्रमुख लक्षणों की बात करें तो सभी प्रकार के कैंसर के लक्षण एक दूसरे से अलग होते हैं। ऐसे में यह जानकारी आपके लिए बेहद महत्वपूर्ण है, ताकि समय पर लक्षणों को पहचानकर निदान और इलाज शुरू किया जा सके। त्वचा में किसी भी तरह की गांठ नजर आए तो संभवत: यह कैंसर के लक्षण हो सकते हैं। स्तन कैंसर, लिम्फ नोड्स, सॉफ्ट ऊतक और अंडकोष में होने वाले कैंसर में आमतौर पर गांठ होते हैं। तेज़ दर्द आमतौर पर हड्डी या वृषण कैंसर का शुरुआती लक्षण होता है, जबकि पीठ दर्द कोलोरेक्टल, अग्नाशय या ओवेरियन कैंसर के संकेत होते हैं।
जिन लोगों को मैलिग्नेंट ब्रेन ट्यूमर होता है, उनमें तेज सिर दर्द होने की शिकायत रहती है। तीन से चार सप्ताह तक ग्रंथियों में सूजन बने रहना ठीक नहीं है। लिम्फ नोड्स के आकार में वृद्धि होना भी कैंसर का संकेत होता है। बिना कोई कारण नजर आए यदि आपका वजन तेजी से कम होने लगे, तो यह कैंसर के पहले संकेतों में से एक हो सकता है। अग्न्याशय, पेट, फेफड़ों व् अन्य प्रकार के कैंसर से पीड़ित लोगों में वजन कम होने की समस्या मुख्य रूप से होती है। सारा दिन थकान महसूस होना भी कैंसर के महत्वपूर्ण लक्षणों में शामिल है।
ल्यूकेमिया, कोलन कैंसर होने पर थकान अधिक महसूस होती है। इसके साथ ही शरीर के किसी भी हिस्से पर हुए मोल्स या मस्से के रंग और आकार में बदलाव नजर आए, तो इसे नजर अंदाज ना करें। इस बात पर भी गौर करें कि कोई भी घाव ठीक होने में अधिक समय तो नहीं ले रहा है। कब्ज, दस्त, मल में खून आना कोलोरेक्टल कैंसर के संकेत हो सकते हैं। पेशाब करते समय दर्द के साथ खून आना ब्लैडर और प्रोस्टेट कैंसर के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं। एनीमिया होने पर लाल रक्त कोशिका में भारी कमी आ जाती है। यह हेमटोलॉजिकल कैंसर का संकेत हो सकता है।
कैंसर के स्टेजेज के बारे में जानकारी होना हम सभी के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। इसके आधार पर हम यह अनुमान लगा सकते हैं कि कैंसर कितने गंभीर रूप में है। कैंसर का पहले स्टेज में ट्यूमर छोटा होता है और कैंसर कोशिकाएं शरीर के सिर्फ एक हिस्से में फैलती हैं। दूसरा और तीसरा स्टेज में ट्यूमर का आकार बड़ा हो जाता है और कैंसर कोशिकाएं पास स्थित अंगों और लिम्फ नोड्स में भी फैलने लगती हैं। चौथा स्टेज कैंसर का आखिरी और बेहद खतरनाक स्टेज होता है, जिसे मेटास्टेटिक कैंसर भी कहते हैं।
इस स्टेज में कैंसर शरीर के दूसरे अंगों में लिम्फ सिस्टम या ब्लड के जरिए फैल जाता है। देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल इंदौर में इस वक्त थर्ड और फोर्थ स्टेज के कैंसर मरीजों का भी इलाज बहुत सामान्य तरिके से किया जा रहा है। यहां के चिकित्सक इलेक्ट्रो होम्योपैथी दवा से मरीजों को होने वाले सभी तकलीफों में राहत दिलाने में सौ फीसद सफल हैं।
देवी अहिल्या हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर का कैंसर पेन एंड पैलिएटिव केयर सेंटर प्राकृतिक तरिके से कैंसर का उपचार का आज सबसे चर्चित इलेक्ट्रो होम्योपैथी का केंद्र है। यह भारत का पहला कैंसर मरीजों के लिए 100 बिस्तर से लैस आधुनिक इलेक्ट्रो होम्योपैथिक कैंसर पेन एंड पैलिएटिव केयर सेंटर है, जहां पूरी तरह से औषधीय पौधों पर आधारित इलेक्ट्रो होम्योपैथी का उपयोग दवा की प्रणाली के साथ-साथ उपचार के रूप में किया जाता है।
देश विदेश से आने वाले कैंसर मरीजों के लिए यहां अत्यधिक सुसज्जित आधुनिक आईसीसीयू, क्रिटिकल केयर उपकरण, क्रिटिकल केयर एंबुलेंस, पैथोलॉजी, फार्मेसी आदि सुविधाएं 24 घंटे प्रदान की जाती है। इसके साथ ही यहां कैंसर रोगियों के इलाज में उत्कृष्ट और अनोखा परिणाम देने के लिए नवीनतम तकनीक से लैस उच्च योग्य और अनुभवी टीम के साथ आपातकालीन चिकित्सकों की भी मौजूदगी रहती है, जो समर्पित होकर कैंसर मरीजों की देख रेख में 24/7 अपनी सेवाएं देते हैं।
इस पैलिएटिव केयर सेंटर में इलाज के दौरान पूर्ण रूप से औषधीय पौधों पर आधारित इलेक्ट्रो होम्योपैथी दवाई ‘ऑन्को फोर्टे’ प्रयोग किया जाता है, जिससे न केवल कम समय में मरीजों को कैंसर के असहनीय दर्द में राहत मिलती है बल्कि कैंसर ट्यूमर के दर्द और जलन में भी कमी आती है और इसके साथ साथ मरीजों के ऊर्जा स्तर में भी सुधार होता है।
पैलिएटिव केयर सेंटर के इलाज में सभी तरह के कैंसर के दर्द से निवारण प्राप्त होता है, जैसे- मुंह का कैंसर, फेफड़ों का कैंसर, स्तन कैंसर, गले का कैंसर, लिवर कैंसर, ब्रेन कैंसर, बच्चेदानी का कैंसर, पेट का कैंसर, लंग कैंसर, बोन कैंसर इत्यादि। इस पैलिएटिव केयर सेंटर की सबसे अच्छी बात यह है कि इलाज के दौरान प्रयोग की जाने वाली दवाइयों से कैंसर रोगियों पर किसी भी प्रकार का दुष्प्रभाव नहीं होता है और इस इलाज से बहुत से मरीजों के जीवन में बढ़त भी देखी गई है।
यहां उच्च तकनीक से लैस डायग्नोस्टिक टूल ‘बायो एनर्जी इमेजिंग’ मशीन से एनर्जी लेवल की जाँच की सुविधा भी समय समय पर उपलब्ध करायी जाती है, जिससे कि सम्पूर्ण इलाज के दौरान स्वास्थ्य में सांख्यिकीय एवं वैज्ञानिक रूप से सुधार की तुलना की जा सके।
देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल द्वारा वर्ष 2023 का थीम ‘कैंसर की जंग जीतेंगे हम’ रखा गया है। इस थीम को रखने का मुख्य उदेश्य यही है कि यह संदेश अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचे कि कैंसर बीमारी को पूर्ण रूप से हराने के लिए हमारे पास तमाम विकल्प मौजूद हैं। इस आलेख को पढ़ने वाले प्रिय पाठकों से निवेदन है कि अगर कैंसर बीमारी से सम्बंधित ऑनलाइन परामर्श चाहते हैं तो बिना किसी झिझक के हमारे हेल्पलाइन नंबर 9584040131 पर आज ही संपर्क करें।
डॉ. अजय हार्डिया,
मशहूर कैंसर रोग विशेषज्ञ,
निदेशक, देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल इंदौर

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devi ahilya March 20, 2023 0 Comments

Good News: जीती कैंसर से जंग, कहा बहुत डेरिंग, बहुत हिम्मत आ गई है मेरे को: बिंदु, बोन मेटास्टेसिस ऑफ़ ब्रेस्ट कैंसर वारियर

देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल इंदौर का एक और नया कीर्तिमान अब सामने है।

बिंदु जी, 15 मार्च 2022 को बेहद कष्ट में बोन मेटास्टेसिस ऑफ़ ब्रेस्ट कैंसर का इलाज के लिए देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल इंदौर आई थी। सात दिन इलाज के बाद दिनांक 22 मार्च 2022 को वह वापस घर लौटती हैं और हर महीने बिल्कुल समय पर देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल इंदौर से दवा लेकर अपना वैसे ही इलाज करती हैं जैसे सात दिनों तक वह देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल इंदौर में मेडिकेशन का हिस्सा बनी थी। दिनांक 18 अक्टूबर 2022 को वापस वह देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल इंदौर आती हैं और अपनी प्रतिक्रिया देती हैं। उनके साथ उनके पति भी साथ होते हैं। बिंदु जी ने बातचीत के दौरान कहा कि अभी अच्छा महसूस कर रही हूँ। अपने गुजरे वक्त को याद करते हुए कहा कि मैं खाना भी नहीं खा पाती थी। आगे उन्होंने कहा, मैं उठ भी नहीं सकती थी, बैठ भी नहीं सकती थी। पानी पचाना भी मुश्किल था। अपने शुरआत के सात दिनों को याद कर कहती हैं यहां इलाज के दौरान 3 दिनों में ही खाना खाने लगी थी। पानी पीना भी शुरू कर दी थी। आगे कहती हैं, जब यहां से घर गई तो 15 दिन और 1 महीना के अंतराल पर आराम मिलना शुरू हुआ और महज 6 महीने में पूरी स्वस्थ हो गई हूँ।
आगे बातचीत में बिंदु जी ने कहा कि पूरा ट्रीटमेंट की मैंने और पूरा मुझे आराम मिल गया। एक सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा, अभी भी जीने की बहुत मेरी उम्मीद बढ़ गई। मैं अपना काम स्वयं कर रही हूँ। बहुत डेरिंग, बहुत हिम्मत आ गई है मेरे को। देखिये इस बातचीत के अंश को।

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devi ahilya March 20, 2023 0 Comments

यहां इलाज के बाद मैं सीधा सोने लगा और अच्छी नींद भी मुझे आने लगी: महेंद्र यादव

कैंसरमुक्तभारत: संपूर्ण भारतवर्ष के लिए यह समझना महत्वपूर्ण है कि कैंसर रोग के इलाज में देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल इंदौर के निदेशक व् मशहूर कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. अजय हार्डिया द्वारा कई शोध किया गया है, जिसका परिणाम आज आप सभी के सामने है।

आज़ादी के 75 वर्ष के सफर में हमने कई बुलंदियों को छुआ है। आज पूरा भारत इस दिन को हर्षोउल्लास के साथ देख रहा है। देश व् अन्य प्रदेशों के संस्थानों में विभिन्न आयोजन किये जा रहे हैं, ऐसे में भारत के कैंसर योद्धाओं को हमें विशेष रूप से बल देने की जरूरत है। जिससे वह भी इस जश्न का हिस्सा सामान रूप से हो सकें।

देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल इंदौर आज आपको महेंद्र यादव जी से मिलवाने जा रहा है। महेंद्र जी कोलोरेक्टल कैंसर को हराने के लिए हर संभव कोशिश में लगे हैं। देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल में इलाज के दौरान उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया विशेष रूप से साझा किये हैं। उन्होंने बातचीत के दौरान कहा, देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल इंदौर में पहले दिन से ही इलाज के बाद मुझे राहत मिली है। यहां आने के पूर्व मैं हमेशा उल्टा सोया करता था, मगर यहां इलाज के बाद मैं सीधा सोने लगा और अच्छी नींद भी मुझे आने लगी।

महेंद्र जी ने अपने ऊपर इलेक्ट्रो होम्योपैथी के परिणाम देखने के बाद देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल के इस चिकित्सा प्रणाली का भी विशेष शुक्रिया करते हुए कहा कि अभी तो मुझे 7 दिन में इतना आराम हुआ है, मुझे विश्वास है कि जब मैं एक महीना दवा लूंगा तो पूरा ठीक हो जाऊंगा। आप भी देखिये, कैसे आज का भारत कैंसर रोग के तमाम तकलीफों को खत्मकर मरीजों को दे रहा है राहत?

देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल इंदौर में इलाज सम्बंधित जानकारी के लिए 9584040131 पर आज ही कॉल करें या हमारे वेबसाइट www.dahrc.in पर विजिट करें।

आइये, ‘कैंसर मुक्त भारत’ अभियान के लिए मिलकर पहल करते हैं। जय हिन्द।

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devi ahilya August 4, 2022 0 Comments

भोपाल में आयोजित कैंसर शिविर पर मुख्यधारा की मीडिया का कवरेज

Special Coverage on Cancer Awareness Campaign By Zee Group | Devi Ahilya Cancer Hospital Indore

निःशुल्क कैंसर चिकित्सा परामर्श शिविर | Devi Ahilya Cancer Hospital Indore | Story By Bansal News

Cancer मरीजों के इलाज में अब कई शोध सामने, जागरूकता के लिए मुहीम की हुई शुरुआत | Story By Digiana News

कैंसर के इलाज में हुए नए शोध ‘ऑन्को फोर्टे’ के बारे में आईबीसी ने भी उठाई आवाज

Bhopal में आयोजित Cancer चिकित्सा परामर्श शिविर पर देखिये News 24 ग्रुप की खबर

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devi ahilya July 14, 2022 0 Comments

कैंसर मरीज अब असहनीय पीड़ा से रहेंगे दूर, नए शोध से मिलेगी राहत

दिनांक 10 जुलाई 2022 दिन रविवार को भोपाल स्थित नवोदय बायोक्योर हेल्थकेयर एवं वेलफेयर सोसाइटी में एक दिवसीय निःशुल्क कैंसर चिकित्सा परामर्श शिविर का आयोजन किया गया। कैंसर मरीजों के इलाज हेतु आयोजित इस चिकित्सा शिविर में भारत के बेहद प्रसिद्द कैंसर हॉस्पिटल देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल इंदौर के निदेशक व् मशहूर कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. अजय हार्डिया के निगरानी में भोपाल से आये कैंसर मरीजों का इलाज किया गया।

इस शिविर के दौरान डॉ. अजय हार्डिया ने कहा, अब देशवासियों को कैंसर जैसी बीमारी से न घबराने की जरूरत है, न ही इस बीमारी से निराश होने की जरूरत है। देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल इंदौर आज भारत का पहला कैंसर हॉस्पिटल है जहां इलाज करा रहे कैंसर मरीजों का पूर्ण रूप से प्राकृतिक चिकित्सा पर आधारित इलेक्ट्रो होम्योपैथी दवाइयों से इलाज किया जा रहा है जिसका किसी भी प्रकार का दुष्प्रभाव कैंसर मरीजों पर नहीं होता है और इसके साथ साथ मरीजों के ऊर्जा स्तर में भी सुधार होता है।

डॉ. हार्डिया ने आगे कहा कि हमने कैंसर से होने वाले तकलीफों को खत्म करने के लिए औषधीय पौधों पर आधारित इलेक्ट्रो होम्योपैथी दवा ‘ऑन्को फोर्टे’ का शोध किया है जिससे बेहद कम समय में मरीजों को कैंसर से होने वाले असहनीय दर्द में राहत मिलती है। डॉ. हार्डिया अपने शोध के बारे में बताते हुए यह भी कहा कि ‘ऑन्को फोर्टे’ कैंसर ट्यूमर के दर्द और जलन को भी खत्म करने में रामबाण सिद्ध हो रहा है। आगे उन्होंने कहा, आज कितने ऐसे मरीज हैं जो इलेक्ट्रो होम्योपैथी के माध्यम से इलाज करा कर कैंसर जैसी बीमारी से होने वाले तमाम तकलीफों को खत्म करके सामान्य जीवन जी रहे हैं।

आगे डॉ. हार्डिया ने कहा, कैंसर बीमारी को पूर्ण रूप से खत्म करने की दिशा में हम बहुत आगे बढ़ चुके हैं। ऐसे में अब हमारी कोशिश है कि इस देश के अधिकतर कैंसर मरीजों को इसका पूरा लाभ मिले।

इस दौरान देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल की मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्रीमती मनीषा शर्मा ने कहा कि देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल इंदौर की टीम भारत के कोने कोने में जाकर कैंसर रोग के प्रति वृहत स्तर पर जागरूकता कार्यक्रम चला रही है जिस कड़ी में आज हम सभी भोपाल में हैं। हमारी कोशिश है कि जो लोग इस वक्त कैंसर से होने वाले तकलीफों से जूझ रहे हैं उन तक पहुंच बनाई जाये, जिससे उन्हें डॉ. अजय हार्डिया जी का शोध का पूरा फायदा मिल सके।

आगे उन्होंने कहा, आज का भारत अपने अमृतकाल में है, जहां हर बड़ी से बड़ी समस्या का समाधान हमारे सामने है। ऐसे में हम सभी का प्रयास होना चाहिए कि कोई भी कैंसर मरीज भारत के किसी भी कोने में कैंसर के तकलीफों के सामने घुटना न टेकें।
इस अवसर पर देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल इंदौर के उप निदेशक डॉ. आशीष हार्डिया ने कहा कि कैंसर जैसी बीमारी के सामने हमें अपने जीवन स्तर में गुणवक्ता पूर्ण जीवन जीने की ओर विशेष रुप से ध्यान देने की जरूरत है, जिसमें जैविक खाद्य पदार्थों को अपने जीवन का हिस्सा बनाना इस वक्त की सबसे महत्वपूर्ण जरूरत है।

इसकी बड़ी वजह यह है कि जैविक खेती से प्राप्त होने वाले खाद्य पदार्थों में 40 से 50 प्रतिशत ज्यादा एन्टी ऑक्सीडेंट तत्व पाए जाते हैं। आगे डॉ. आशीष ने कहा, एन्टी ऑक्सीडेंट ही वह तत्व होता है जिससे शरीर की कोशिकाओं को खराब होने से बचाया जा सकता है। अगर इसकी मात्रा हमारे शरीर में भरपूर है तो हमें किसी भी हाल में कैंसर नहीं हो सकता।

आगे उन्होंने कहा, हमें कोशिश करनी चाहिए कि राजमा, अनार, चुकंदर, लहसुन, किवी, अदरक, टमाटर, करौंदे, काले सैतूत, धनिया आदि पदार्थ का अधिक मात्रा में भोजन में इस्तेमाल हो। एन्टी ऑक्सीडेंट प्राकृतिक रूप से सब्जियों और फलों में पाए जाते हैं इसलिए हमें फ़ूड हब्बिट्स में इस ओर ध्यान देना आवश्यक है।

एक दिवसीय निःशुल्क कैंसर चिकित्सा परामर्श शिविर के आयोजन में नवोदय बायोक्योर हेल्थकेयर एवं वेलफेयर सोसाइटी की बड़ी भूमिका रही। इस अवसर पर इस संस्था के संस्थापक योगेंद्र शर्मा ने कहा कि मुख्य रूप से आज के आयोजित इस शिविर में मुंह का कैंसर, फेफड़ों का कैंसर, स्तन कैंसर, गले का कैंसर, लिवर कैंसर, ब्रेन कैंसर, बच्चेदानी का कैंसर, पेट का कैंसर, लंग कैंसर, बोन कैंसर आदि मरीजों का विशेष रूप से इलाज कर उन्हें डॉ. अजय हार्डिया द्वारा इलेक्ट्रो होम्योपैथी में शोध की गई दवा का भी निःशुल्क वितरण किया गया। इस शिविर का सफलता पूर्वक आयोजन में डॉ. राजेन्द्र गेहलोत, धर्मेश श्रीवास्तव, सुनील ढुल्लू, राजेंद्र सिंह ठाकुर, बलवीर कुमार, दिनेश सिंह आदि लोगों की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही।

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devi ahilya July 14, 2022 0 Comments