सरकार सावधान! आगे कैंसर है…

अभी से कुछ ही दिन पहले हमने अपने गणतंत्र के 74 वर्ष को पूरा करके 75 के पड़ाव को छुआ है। गणतंत्र की जरूरत इसीलिए थी ताकि राष्ट्र को एक अनुशासित माहौल में विकसित किया जा सके। हमने पिछले कुछ वर्षों में भारत माता की जयकार को जितनी जोर से लगाने की प्रथा को विकसित किया उसी अनुपात में हमने अपने भारत में अनुशासन के साथ खिलवाड़ किया है। यकीनन आप कह सकते हैं कि गणतंत्र में भी अब सेंध लगाने की कोशिश की जा रही है। मुझे लगता है कि आपको सबसे पहले सरकार के ही उन आकड़ों पर नज़र डालने की जरूरत है जिन आंकड़ों के माध्यम से हम कैंसर की गंभीर स्थिति को समझ सके।

वर्ष 2022 की बात करें तो इस एक वर्ष में लगभग 8 लाख 8 हज़ार 558 कैंसर मरीजों ने जान गंवाई है। मसलन एक घंटे की बात की जाये तो तक़रीबन 93 कैंसर मरीजों की मृत्यु के आंकड़ों को सरकार इस वक्त गिनकर देश को बता रही है। इस गंभीर स्थिति में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है कि कहीं हम कोई ऐसा मौहाल तो नहीं बना रहे हैं जो कैंसर मरीजों की मृत्यु के लिए मुंह बाएं खड़ा है? इस सवाल को जब आप टटोलेंगे तो आपको लगेगा हमने बिलकुल ऐसा ही किया है।

देखिये, हम सभी को जानकारी है कि धूम्रपान-सिगरेट या बीडी पीने से मुंह, गले, फेंफडे, पेट और मूत्राशय का कैंसर होने की संभावना होती है, फिर भी सरकार द्वारा इन चीजों को बाजार में आने से रोका नहीं जा रहा है। इसके साथ ही तम्‍बाकू, पान, सुपारी, पान मसाला और गुटका खाने से मुंह, जीभ, खाने की नली, पेट, गले, गुर्दे और अग्‍नाशय (पेनक्रियाज) का कैंसर होता है। अब इसके ठीक समानांतर इन नशीले पदार्थों के बाजारवाद के साम्राज्य को देख लीजिये।

जब इंदौर की गलियों से होते हुए आप शहर के चौक चौराहे की ओर कदम रखेंगे तो नई पीढ़ी के छात्रों की भी एक बड़ी संख्या है जो इस लत में आपको नज़र आएंगे। जो देश के सिस्टम, प्रशासन, संविधान के बेहद करीब रहते हैं, जिसे आप मंत्री कहते हैं उन्हें इस बात की जरा भी सोच नहीं कि दरअसल संविधान के जिन पन्नों में ‘स्वास्थ्य का अधिकार’ अनुच्छेद 21 के तहत एक मौलिक अधिकार के जिस रूप को लिए लिखा है तो फिर देश में लोगों को बीमार बनाने का यह कैसा खेल चल रहा है?

दरअसल इस स्थिति में आप इस बात को साफ साफ़ कह सकते हैं कि इस राष्ट्र में लोगों को कैंसर होता रहे और लोग लगातार मरते रहे, इससे आज की सरकारों को कोई फर्क नहीं पड़ता। आप जब देश के विभिन्न राज्यों पर नज़र लेकर जायेंगे तो इस कतार में उत्तर प्रदेश सामने नज़र आएगा, जहां इस वक्त सबसे ज्यादा कैंसर मरीजों की मृत्यु की संख्या देखी जा रही है, मगर इसके सामानांतर में जब आप देखेंगे कि इस चुनौती से निपटने के लिए राज्य सरकार की क्या व्यवस्थाएं हैं? तो सरकार भी मूल उदेश्यों के साथ खाली हाथ नज़र आएगी।

असल मायने में संविधान के पुजारियों के लिए यह स्टैंड कभी नहीं हो सकता कि एक तरफ ‘स्वास्थ्य का अधिकार’ व् संविधान की सेवा के लिए नेता, मंत्री शपथ लेते रहे और दूसरी ओर दो टके के लिए नशा का बाजार परोसते रहे, इसीलिए कहना पड़ा कि गणतंत्र की जरूरत इस राष्ट्र को एक अनुशासित माहौल में विकसित करने के लिए ही थी, परन्तु मौजूदा स्थिति में गणतंत्र में भी अब सेंध लगाने की कोशिश की जा रही है।

आपको इस बात को भी समझना होगा कि इन चुनौतियों से निपटने के लिए कुछ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थानों द्वारा लगातार कोशिश की जा रही है। विश्व कैंसर दिवस 4 फरवरी को कैंसर के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इसकी रोकथाम, पहचान और उपचार को प्रोत्साहित करने के लिए मनाया जाता है। विश्व कैंसर दिवस का प्राथमिक लक्ष्य कैंसर और बीमारी के कारण होने वाली मृत्यु की संख्या को कम करना है। आज से 91 वर्ष पूर्व वर्ष 1933 में अंतर्राष्ट्रीय कैंसर नियंत्रण संघ द्वारा स्विट्जरलैंड के जिनेवा शहर में पहली बार विश्व कैंसर दिवस मनाया गया था।

कैंसर के इलाज में देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल इंदौर की अनोखी पहल

देवी अहिल्या हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर का कैंसर हॉस्पिटल प्राकृतिक तरिके से कैंसर का उपचार का आज सबसे चर्चित इलेक्ट्रो होम्योपैथी का कैंसर अस्पताल है। वर्ष 2019 में स्थापित कैंसर अस्पताल विशेष उपचार प्रोटोकॉल के माध्यम से आशाहीन कैंसर रोगियों के लिए आशा की एक नई किरण साबित हो रहा है। यह भारत का पहला कैंसर मरीजों के लिए 100 बिस्तर से लैस आधुनिक इलेक्ट्रो होम्योपैथिक कैंसर अस्पताल है, जहां पूरी तरह से औषधीय पौधों पर आधारित इलेक्ट्रो होम्योपैथी का उपयोग दवा की प्रणाली के साथ-साथ उपचार के रूप में किया जाता है। देश विदेश से आने वाले कैंसर मरीजों के लिए यहां अत्यधिक सुसज्जित आधुनिक आईसीसीयू, क्रिटिकल केयर उपकरण, क्रिटिकल केयर एंबुलेंस, पैथोलॉजी, फार्मेसी आदि की 24 घंटे सुविधाएं प्रदान की जाती है। इसके साथ ही यहां कैंसर रोगियों के इलाज में उत्कृष्ट और अनोखा परिणाम देने के लिए नवीनतम तकनीक से लैस उच्च योग्य और अनुभवी टीम के साथ आपातकालीन डॉक्टरों की भी मौजूदगी रहती है, जो समर्पित होकर कैंसर मरीजों की देख रेख में 24/7 अपनी सेवाएं देते हैं।

कैंसर के इलाज में इलेक्ट्रो होम्योपैथी है कारगर

हमारा मानना है कि शरीर में सभी कोशिकाएं हमारे जीवन के दौरान निरंतर वृद्धि करती रहती है। सामान्य कोशिकाएं नियंत्रण में वृद्धि करती है जबकि कैंसर कोशिकाएं इस नियंत्रण को खो देती हैं और आवश्यकता से अधिक अनियंत्रित वृद्धि करने लगती हैं। ये कोशिकाएं शरीर के उस अंग को नुकसान पहुंचाते हैं जहां कोशिकाएं वृद्धि कर रही होती हैं और यह हमारे शरीर के अन्य भागों में भी फैल सकता है। कैंसर शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है। यह आमतौर पर सूजन, दर्द आदि के रूप में हमें नज़र आते हैं। यह हमारे शरीर में धीरे-धीरे किसी आकार में वृद्धि करता है और आसपास के ऊतकों को नुकसान पहुंचाना शुरू करता है। जैसे-जैसे कैंसर बढ़ता है, यह शरीर के आसपास की संरचनाओं पर आक्रमण करता है और शरीर के उस हिस्से को नुकसान पहुंचाता है। रक्त प्रवाह के माध्यम से यह शरीर के अन्य भाग जैसे फेफड़े, लिवर, हड्डियों, मस्तिष्क आदि में भी फैलता है। कैंसर की स्थिति में इलेक्ट्रो होम्योपैथी की दवा शरीर में चल रहे दूषित चैतन्य पदार्थ रस और रक्त को शुद्ध करके कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि को पूर्ण रूप से खत्म करता है और सामान्य कोशिकाओं को नियंत्रण में वृद्धि करने लिए ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाता है। जिससे सूजन और दर्द की स्थिति में इलेक्ट्रो होम्योपैथी दवा से तुरंत राहत मिलती है। शरीर के प्रत्येक हिस्से जहां पर कैंसर फैला होता है वहां इलेक्ट्रो होम्योपैथी दवा का सुचारु रुप से इस्तेमाल करके कैंसर को बढ़ने से रोका जा सकता है।

देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल की विशेषताएं

  1. देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल में ट्रीटमेंट के दौरान पूर्ण रूप से औषधीय पौधों पर आधारित इलेक्ट्रो होम्योपैथी दवाई ‘ऑन्को फोर्ट’ प्रयोग किया जाता है, जिससे न केवल कम समय में मरीज को कैंसर के असहनीय दर्द में राहत मिलती है बल्कि कैंसर ट्यूमर के दर्द और जलन में भी कमी आती है और इसके साथ साथ मरीज के ऊर्जा स्तर में भी सुधार होता है।
  2. यहां प्राकृतिक तरिके से बिना कीमो, बीना रेडिएशन व् बिना सर्जरी के कैंसर मरीजों का सफल इलाज किया जाता है। यही वजह है कि यहां सम्पूर्ण देश के साथ विदेशों से भी मरीज कैंसर के इलाज के लिए आते हैं।
  3. देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल में इलाज के दौरान प्रयोग की जाने वाली दवाइयों से कैंसर रोगियों को किसी भी प्रकार का दुष्प्रभाव नहीं होता है, साथ ही यहां ट्रीटमेंट करवाने से बहुत से मरीजों के जीवन में बढ़त भी देखी जाती है।
  4. अस्पताल के विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा कॉउंसलिंग की सुविधा देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल का अभिन्न हिस्सा है, जिससे मरीजों को कैंसर बीमारी से लड़ने में बल मिलता है।
  5. उच्च तकनीक से लैश डायग्नोस्टिक टूल ‘बायो एनर्जी इमेजिंग’ मशीन से एनर्जी लेवल की जाँच की सुविधा भी समय समय पर उपलब्ध करायी जाती है, जिससे कि सम्पूर्ण इलाज के दौरान स्वास्थ्य में सांख्यिकीय एवं वैज्ञानिक रूप से सुधार की तुलना की जा सके।

वर्ष 2022, फरवरी माह से देवी अहिल्या रीनल केयर सेन्टर के माध्यम से देश के किडनी मरीजों के लिए भी एक ऐसा अस्पताल शुरू किया गया हैं जहां बिना डायलीसिस व ट्रांसप्लांट के किडनी मरीजों का इलाज पूर्ण रूप से हर्बल इलेक्ट्रो होम्योपैथी के माध्यम से किया जा रहा है।

देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल द्वारा कैंसर के विरुद्ध राष्ट्र की सबसे बड़ी मुहिम ‘कैंसर मुक्त भारत अभियान’ का शुभारंभ

इन दिनों सम्पूर्ण भारतवर्ष में देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल इंदौर द्वारा कैंसर के विरुद्ध राष्ट्र की सबसे बड़ी मुहिम कैंसर मुक्त भारत अभियान चलाया जा रहा है। हमारा स्पष्ट मानना है कि अगर फर्स्ट स्टेज में कैंसर मरीजों का इलाज इलेक्ट्रो होम्योपैथी माध्यम से सुनिश्चित हो जाये तो अधिकतर कैंसर मरीजों की जिंदगी बच सकती है। इन्हीं कारणों से इस अभियान के दौरान आम लोगों को कैंसर मुक्त भारत की शपथ दिलाते हुए कैंसर रोग के विरुद्ध जागरूकता व् रोकथाम के लिए सभी आवश्यक उपायों का पालन करने हेतु प्रेरित किया जा रहा है।

इस आलेख को पढ़ने वाले पाठकों से भी अपील करना चाहूंगा कि इस बीमारी के प्रति आइये जागरूकता की एक मिसाल बनाते हैं। कभी भी किसी को कैंसर के लक्षण जैसे अचानक से वजन कम या ज्यादा होना, काम करने के दौरान जरूरत से ज्यादा थकान या कमजोरी महसूस होना, त्वचा के किसी भी हिस्से में बार बार नील पड़ जाती हो या उसके नीचे गाठ बन जाना, लंबे समय से खांसी या सांस लेने में कठिनाइ होना, पाचन समस्या में बार बार दस्त या कब्ज़ होना, भूख कम लगना या खाने की इच्छा नहीं होना, बार बार बुखार आना, बार बार मांसपेशियों में खिंचाव और दर्द महसूस होना, बार बार संक्रमण होना महसूस हो तो कैंसर विशेषज्ञ से अवश्य सलाह लें।

कैंसर मरीजों के लिए डाइट है जरूरी

कैंसर मरीजों के लिए जितना दवा जरुरी है उतना ही इस बीमारी से लड़ने के लिए डाइट की भी जरूरत होती है। कैंसर से होने वाले विभिन्न तकलीफों में मरीजों को कुछ ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए, जो उन्हें अंदर से मजबूत बनाते हुए उनके शरीर के कैंसरस कोशिकाओं के विकास को भी रोके और शरीर के स्वस्थ्य कोशिकाओं को भी विकसित होने में मदद करें।

कैंसर के इलाज के दौरान या कैंसर से बचाव के लिए आप विटामिन युक्‍त और रेशे वाले ही पौष्टिक भोजन खाएं। कीटनाशक एवं खाद्य संरक्षण रसायनों से युक्‍त भोजन धोकर खाएं। अधिक तलें, भुने, बार-बार गर्म किये तेल में बने और अधिक नमक में सरंक्षित भोजन न खाएं। फलों में विशेष रूप से केला, स्ट्रॉबेरी, आड़ू, कीवी, संतरा, आम, नाशपाती जैसे फलों का सेवन करना चाहिए। ये सभी विटामिन और फाइबर से भरपूर होते हैं। साथ ही अमरूद, एवोकाडो, अंजीर, खुबानी भी शरीर की खोई हुई एनर्जी को वापस पाने के लिए खा सकते हैं। आड़ू फल के कई स्वास्थ्य लाभ हैं। यह मिनरल और विटामिन से समृद्ध होता है। साथ ही आड़ू में फाइटोकेमिकल्स, डाइटरी फाइबर और पॉलीफेनोल की भी भरपूर मात्रा होती है। ये सभी स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं। इनके अलावा, आड़ू में एंटीकैंसर, एंटी-एलर्जिक, एंटीट्यूमर, एंटीबैक्टीरियल, एंटीमाइक्रोबियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी प्रभाव होते हैं। इस वजह से आड़ू स्वास्थ्य पर सकारात्मक असर डालने और बीमारी से बचाव कर सकता है। चूँकि देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल में प्राकृतिक तरिके से इलाज किया जाता है तो यहां मरीजों के लिए साफ अलग किस्म का भोजन खाने में सलाह दिया जाता है। कैंसर संबंधित इलाज व् परामर्श हेतु 9827058514 पर संपर्क करें।

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devi ahilya February 3, 2024 0 Comments

देश के मशहूर कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. अजय हार्डिया जी के साथ खास बातचीत

7 जनवरी 2024 दिन रविवार को ZEEMPCG के खास कार्यक्रम ‘जेम्स ऑफ़ एमपी-सीजी’ में अवश्य देखें देश के मशहूर कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. अजय हार्डिया जी के साथ खास बातचीत। समय: दोपहर 2:30 बजे। 

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devi ahilya January 6, 2024 0 Comments

राष्ट्रीय इलेक्ट्रो होम्योपैथी दिवस पर दिया जायेगा 5 हस्तियों को डॉ. एन. एल. सिन्हा सम्मान, आवेदन की अंतिम तिथि 10 नवंबर 2023

30 नवंबर 2023 का दिन अब बेहद करीब है, ऐसे में देवी अहिल्या ग्रुप द्वारा राष्ट्रीय इलेक्ट्रो होम्योपैथी दिवस की तैयारियां भी शुरू की जा रही है। इस आयोजन के दौरान आपको बता दें ‘डॉ. एन. एल. सिन्हा अवार्ड’ का भी आयोजन किया जाता है। भारत की जमीं पर इलेक्ट्रो होम्योपैथी के क्षेत्र में यह वर्ष का दूसरा सबसे बड़ा आयोजन होता है जो प्रत्येक वर्ष देवी अहिल्या हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर व् नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ इलेक्ट्रो होम्योपैथी द्वारा आयोजित किया जाता है।

नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ इलेक्ट्रो होम्योपैथी के निदेशक डॉ. अजय हार्डिया द्वारा दिनांक 30 नवंबर 2021 प्रथम राष्ट्रीय इलेक्ट्रो होम्योपैथी दिवस के अवसर पर डॉ. एन. एल. सिन्हा अवार्ड की घोषणा की गई थी। तब से इस सम्मान को इलेक्ट्रो होम्योपैथी जगत का सबसे सर्वोच्च सम्मान के रूप में भी देखा जाता है। वर्ष 2022 में पहली बार इस सम्मान को इलेक्ट्रो होम्योपैथी के क्षेत्र में अहम योगदान दे रहे 5 हस्तियों को दिया गया था। यह सम्मान विशेष रूप से उन हस्तियों को दिया जाता है जो अपने विपरीत परिस्थितयों के बीच इलेक्ट्रो होम्योपैथी के माध्यम से आम जन की स्वास्थ्य सेवाओं में भूमिका निभाते हुए स्वस्थ राष्ट्र बनाने के लिए अहम पहल कर रहे हैं। वर्ष 2022 में जिन हस्तियों को डॉ. एन. एल. सिन्हा सम्मान से सम्मानित किया गया था उसमें, डॉ. राजेश कुमार महेश्वरी, डॉ. इरफ़ान अहमद खान, डॉ. हातिम अली, डॉ. पंकज कुमार सोनी व् डॉ. मनीष राठौर का नाम दर्ज है।

आपको बता दें, इलेक्ट्रो होम्योपैथी के बेहद प्रतिष्ठित संस्थान देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल इंदौर की ओर से यह सम्मान इलेक्ट्रो होम्योपैथी के क्षेत्र में अहम योगदान दे रहे 5 हस्तियों को डॉ. एन. एल. सिन्हा जयंती के अवसर पर इस वर्ष भी दिया जायेगा। जिसकी घोषणा डॉ. अजय हार्डिया द्वारा आयोजन के दौरान किया जायेगा। अवार्ड के नोमिनेशन हेतु देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल इंदौर द्वारा फॉर्म भी जारी कर दिया गया है। इस दौरान देवी अहिल्या हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर की मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्रीमती मनीषा शर्मा ने कहा कि इस वर्ष हम बेहद साधारण और टेक्नो फ्रेंडली प्रक्रिया के जरिया नॉमिनेशन की पूरी प्रक्रिया को पूर्ण करेंगे। उन्होंने आगे कहा कि आयोजन के पूर्व ही इलेक्ट्रो होम्योपैथी के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले 5 हस्तियों का नाम का चयन कर लिया जायेगा।

आपको बता दें, इस पूरी प्रक्रिया के दौरान आवेदक का दो स्तर पर चयन किया जायेगा। ऑनलाइन फॉर्म फिल अप के स्तर पर चयन की पहली प्रक्रिया होगी तो वहीं दूसरे राउंड में वीडियो प्रेजेंटेशन चयन की आखिरी प्रक्रिया होगी।

अतः इस प्रक्रिया के दौरान आवेदक को बहुत ध्यानपूर्वक फॉर्म भरना होगा। फॉर्म के स्तर पर तक़रीबन 30 फीसद ही फॉर्म का चयन कर वीडियो प्रेजेंटेशन के लिए आवेदक का चयन किया जायेगा। वीडियो प्रेजेंटेशन इस प्रक्रिया का अंतिम व् निर्णायक राउंड होगा। जिस दौरान आवेदक को पूर्ण परिचय से लेकर इलेक्ट्रो होम्योपैथी में विशेषज्ञता के आधार के सम्बन्ध में क्यों? कब? और कैसे? विषय पर स्पष्ट विचार साझा करना होगा। वीडियो के इसी कड़ी में आवेदक को अपनी जानकारी व् कौशल के प्रभाव, परिणाम व् महत्व पर विशेष प्रकाश डालना होगा।

इस दौरान आवेदक की इलेक्ट्रो होम्योपैथी में जिस भी क्षेत्र में विशेषज्ञता है उस क्षेत्र के समक्ष चुनौतियाँ व् संभावनाएं पर भी स्पष्ट विचार साझा करना होगा। वीडियो के आखिरी कड़ी में विजनरी लीडर के तौर पर मौजूदा चुनौतियाँ व् तथ्यों को देखते हुए 2 मुख्य सुझाव भी साझा करना होगा, जिससे मानव कल्याण हेतु स्वास्थ्य जगत में इलेक्ट्रो होम्योपैथी को मुख्यधारा से जोड़ा जा सके। आयोजन के पूर्व इस वीडियो को देवी अहिल्या हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के तमाम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भी साझा किया जायेगा। साथ ही आयोजन के दौरान प्रेस रिलीज के माध्यम से प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक्स व् डिजिटल मीडिया के संस्थानों को डॉ. एन. एल. सिन्हा अवार्ड 2023 के लिए चयनित नामों की सूचि भी दी जाएगी।

इस सम्मान का मुख्य उदेश्य इलेक्ट्रो होम्योपैथी के विभूतियों के प्रेरणात्मक अवदान से राष्ट्र को परिचित कराना है। इलेक्ट्रो होम्योपैथी की खोज तो डॉ. कॉउंट सीजर मैटी द्वारा की गई थी, परन्तु भारत में इसे वास्तविक रूप से स्थापित करने का श्रेय डॉ. एन. एल. सिन्हा जी को जाता है। यही वजह है कि डॉ. एन. एल. सिन्हा जी की जयंती पर इलेक्ट्रो होम्योपैथी के क्षेत्र में बेहतर कर रहे शख्सियतों के सम्मान हेतु डॉ. एन. एल. सिन्हा सम्मान प्रस्तुत किया जाता है।

वर्ष 1881 के दौरान इटली में आधिकारिक चिकित्सा द्वारा विरोध किए जाने के बावजूद, डॉ. कॉउंट सीजर मैटी ने इलेक्ट्रो-होम्योपैथिक दवाओं का बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू किया। उन्होंने विदेशों में भी निर्यात किया, आगे उन्होंने इलेक्ट्रो होम्योपैथी की किताबें लिखी और अपने चिकित्सा विज्ञान का प्रचार प्रसार करने के लिए दुनिया के प्रत्येक देश में किताबों को भेजना प्रारंभ किया। यह वही दौर था जब इलेक्ट्रो होम्योपैथी का विस्तार इटली से दूसरे देशों में होता है।

यकीनन उस दौर में कई शख्सियत होंगे जो इस पैथी से रूबरू हुए होंगे, परन्तु डॉ. एन. एल. सिन्हा जी ने इसे बेहद गंभीरता से लिया और भारत के आम जनों के लिए वर्ष 1900 के प्रथम दशक में स्वास्थ्य सेवाओं से जोड़ा। उन्होंने जिस संकल्प और सिद्दत से विभिन्न रोगों से ग्रसित मरीजों का इलाज किया उसी संकल्प और सिद्दत से इलेक्ट्रो होम्योपैथी को वास्तविक रूप से धरातल पर उतारने के लिए इस पैथी से सम्बंधित विभिन्न रोगों के संदर्भ में किताबें लिखी और इसके शिक्षा के दिशा में कार्य करते हुए वर्ष 1920 में देश के सबसे प्रतिष्ठित संस्थान नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ़ इलेक्ट्रो काम्प्लेक्स होम्योपैथी की भी स्थापना किया।

उन्होंने एम.डी.ई.एच. की डिग्री लन्दन से हासिल किया। साथ ही पी.एच.डी., एम.डी.एच., ए.डी. व् एल.डी.एच. की डिग्री अमेरिका से प्राप्त की। डॉ. सिन्हा अपने वक्त में देश के प्रमुख्य आइरिस डायग्नोसिस विषेशज्ञों में से एक थे। वह इंटनेशनल कॉउंसिल ऑफ़ होम्योपैथिक फिजिशियंस (यू.एस.ए) के भी सदस्य रहे। डॉ. सिन्हा का योगदान उन्नीसवीं, बीसवीं व् इक्कीसवीं सदी के इलेक्ट्रो होम्योपैथ जगत के साथ अन्य पैथी के चिकित्सा के क्षेत्र में कार्य कर रहे शख्सियतों के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। विशेषकर भारतीय इलेक्ट्रो होम्योपैथी जगत के लिए डॉ. सिन्हा, डॉ. काउंट सीजर मैटी के बाद एक मात्र स्तंभ के रूप में अपनी भमिका निभाई। उन्होंने अपने समय में कैंसर रोग को खत्म करने की दिशा में शोध करने के साथ साथ कई महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया। डॉ. सिन्हा बाकायदा ‘कैंसर की समस्या’ टाइटल से किताबें लिखी। अपने प्रैक्टिस के वक्त कैंसर रोगियों का पूर्ण रूप से इलाज करके उन्हें ठीक भी किया।

इलेक्ट्रो होम्योपैथी को मुख्य धारा में लाने के लिए डॉ. एन. एल. सिन्हा इस बात को महसूस कर रहे थे कि सरकार अगर इस चिकित्सा पद्धति पर कार्य करने की योजना बना लेती है तो यह चिकित्सा पद्धति आम लोगों को रोग मुक्त करने में सबसे सफल चिकित्सा पद्धति साबित होगी। अर्थात इसी जरूरत को लेकर इलेक्ट्रो होम्योपैथी की मान्यता के लिए डॉ. सिन्हा ने वर्ष 1953 में एक माह के लिए आमरण अनशन किया। यह उस दौर का वक्त था जब आयुर्वेद और होम्योपैथ भी मान्यता के लिस्ट में दर्ज नहीं किया गया था। हालांकि इस पर उत्तर प्रदेश सरकार की भी प्रतिक्रिया आई और तत्कालीन सरकार के मुख्य सचिव ने डॉ. सिन्हा को पत्र के माध्यम से संदेश भेजा कि निश्चित ही इस पैथी को मान्यता दिलाएंगे। इसी कड़ी में सरकार की निगरानी में डॉ. सिन्हा को इलाज करने के लिए 6 कुष्ठ रोग के मरीज दिए गए, जिसमें डॉ. सिन्हा ने 5 मरीजों को पूर्ण रूप से ठीक कर इलेक्ट्रो होम्योपैथी की छवि सरकार के समक्ष विकसित किया।

अतः डॉ. सिन्हा के महत्वपूर्ण योगदान को देखते हुए देवी अहिल्या हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के निदेशक डॉ. अजय हार्डिया के आह्वान पर पूरे देश भर में उनके जन्मदिन के अवसर पर पहली बार 30 नवंबर 2021 को राष्ट्रीय इलेक्ट्रो होम्योपैथी दिवस मनाया गया था। इसी आयोजन के दौरान देवी अहिल्या हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर व् नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ इलेक्ट्रो होम्योपैथी द्वारा वर्ष 2022 से डॉ. एन. एल. सिन्हा अवार्ड का भी आयोजन किया जा रहा है।

डॉ. एन. एल. सिन्हा अवार्ड 2023 के लिए यहां अवार्ड नॉमिनेशन फॉर्म की कॉपी की लिंक दी गई है। अगर आप इस सम्मान के लिए नॉमिनेशन कराना चाहते हैं तो आज ही ( https://forms.gle/3NAeqosxVW84CsX76 ) इस लिंक पर क्लिक कर फॉर्म भरें। आवेदन करने की अंतिम तिथि 10 नवंबर 2023 है।

इस प्रक्रिया के लिए किसी भी तरह का शुल्क नहीं लिया जायेगा। अवार्ड फॉर्म नॉमिनेशन संबंधित किसी भी तरह की जानकारी के लिए देवी अहिल्या हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर इंदौर के हेल्पलाइन नंबर 9685029784 पर आज ही संपर्क करें।

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devi ahilya October 4, 2023 0 Comments

देश की मीडिया में कैंसर के विरुद्ध जन आंदोलन

ज़ी मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ न्यूज़ चैनल 

आईबीसी 24 

बियॉन्ड द थर्ड आई

डिजिआना न्यूज़ 

देश दुनिया की हर खबर आज तक न्यूज़ 

संध्या दैनिक गुड इवनिंग 

पत्रिका

नई दुनिया 

धार क्षेत्रीय अख़बार  

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devi ahilya July 10, 2023 0 Comments

मध्य प्रदेश के धार की जमीं पर आज हमने कैंसर के विरुद्ध जन आंदोलन का शुभारंभ किया है: श्रीमती मनीषा शर्मा

दिनांक 5 जुलाई 2023 दिन बुधवार को धार स्थित विक्रम ज्ञान मंदिर में कैंसर व किडनी मरीजों के इलाज हेतु एक दिवसीय निःशुल्क चिकित्सा परामर्श शिविर का आयोजन किया गया। इस शिविर का आयोजन देवी अहिल्या कैंसर केयर फाउंडेशन व भोज शोध संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। जिसमें भारत के बेहद चर्चित कैंसर हॉस्पिटल देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल इंदौर के निदेशक व मशहूर कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. अजय हार्डिया द्वारा कैंसर मरीजों का निशुल्क इलाज किया गया। इस शिविर के दौरान देवी अहिल्या हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के रीनल केयर विभाग के प्रमुख व किडनी रोग विशेषज्ञ डॉ. आशीष हार्डिया द्वारा किडनी मरीजों का इलाज किया गया।

देवी अहिल्या कैंसर केयर फाउंडेशन की निदेशिका श्रीमती मनीषा शर्मा ने कहा कि मध्य प्रदेश के धार की जमीं पर आज हमने कैंसर के विरुद्ध जन आंदोलन का शुभारंभ किया है। इस आंदोलन के जरिये हमारा मकसद भारत के कैंसर मरीजों के लिए इलाज से लेकर जागरूकता के तमाम आयामों पर कार्य करना है।

आगे उन्होंने कहा, कैंसर मरीजों के समक्ष वर्ष 2023 के लिए हमने 5 मुख्य चुनौतियों को चिन्हित किया है।
जिसमें पहला चुनौती है कि कैंसर के संबंध में तमाम जानकारियों को लेकर भारत में व्यापक स्तर पर जागरूकता फैलाना है, जिसके जरिये फर्स्ट स्टेज में ही कैंसर मरीजों का सफल इलाज हो सके। दूसरी चुनौती, मौजूदा दौर में कैंसर मरीजों के समक्ष हम आर्थिक संकट की स्थिति देख रहे हैं, ऐसे में देवी अहिल्या कैंसर केयर फाउंडेशन के माध्यम से फंड रेजिंग कैंपेन चलाया जा रहा है, जिसके जरिये अधिक से अधिक कैंसर मरीजों को हम सीधा आर्थिक लाभ दे सकें।

तीसरी चुनौती, भारत को नशा मुक्त राष्ट्र बनाने के लिए भारत के लोगों के बीच जागरूकता फैलाना, जिससे साफ़ तौर पर तम्बाकू, शराब आदि नशीले पदार्थों को रोककर इन पदार्थों से होने वाले कैंसर से भारतीय लोगों को बचा सके।

चौथी चुनौती, अभी हम देख रहे हैं कि भारतीय जमीं पर थर्ड और फोर्थ स्टेज के कैंसर मरीजों का इलाज भी बहुत दर्दनाक स्थिति में हो रहा है तब जब इलेक्ट्रो होम्योपैथी के माध्यम से बिना कीमो, बिना रेडिएशन व् बिना सर्जरी के कैंसर का इलाज संभव है। ऐसे में भारत में इलेक्ट्रो होम्योपैथी के माध्यम से शत प्रतिशत कैंसर मरीजों का इलाज सुनिश्चित करना हमारे लिए चुनौती है।

पांचवी चुनौती, भारत कृषि प्रधान देश है, मगर दुखद स्थिति है कि कीटनाशक दवाइयां जो दवा नहीं, जहर है जिसे भारत सरकार द्वारा प्रतिबंधित किया गया, परन्तु यह कीटनाशक, रासायनिक दवाइयाँ धड़ल्ले से बिक रही है, जिसका परिणाम है कि भारतीय लोग सुरक्षित फसल से दूर हैं। ऐसे में आर्गेनिक खेती कर रहे किसान भाइयों एवं बहनों को प्रोत्साहित करना व भारतीय लोगों को जैविक खाद्य पदार्थों को अपने जीवन का हिस्सा बनाना के लिए प्रेरित करना है।


आगे उन्होंने कहा कि हमने अपने कार्यों को चुनौती के रूप में स्वीकार किया है और जमीनी स्तर तक हम यह संदेश देना चाहते हैं कि जैविक खेती से प्राप्त होने वाले खाद्य पदार्थों में 40 से 50 प्रतिशत ज्यादा एंटीऑक्सीडेंट तत्व पाए जाते हैं। एंटीऑक्सीडेंट ही वह तत्व होता है जिससे शरीर की कोशिकाओं को खराब होने से बचाया जा सकता है। अगर इसकी मात्रा हमारे शरीर में भरपूर है तो हमें किसी भी हाल में कैंसर नहीं हो सकता।

इस दौरान देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल इंदौर के निदेशक डॉ. अजय हार्डिया ने कहा अब वक्त आ गया है कि भारतीय लोग कैंसर को सामान्य बीमारी के तौर पर लें, आगे उन्होंने कहा, हमने पिछले कुछ वर्षों में शोध भी देखे हैं, सफलता भी देखे हैं, प्रयोग भी देखे हैं, परिणाम भी देखे हैं।

उन्होंने जानकारी दी कि इलेक्ट्रो होम्योपैथी स्वस्थ भारत का एकमात्र स्वस्थ पैथी का विकल्प है, जिसका परिणाम है कि देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल इंदौर में अब कैंसर मरीज, कैंसर को पूर्ण रूप से खत्म करने की उम्मीद लेकर आ रहे हैं।

इस पैथी के बारे में जानकारी देते हुए डॉ. हार्डिया ने कहा, देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल इंदौर आज भारत का पहला कैंसर हॉस्पिटल है जहां कैंसर मरीजों का पूर्ण रूप से हर्बल इलेक्ट्रो होम्योपैथी दवाइयों से इलाज किया जा रहा है, जिसका किसी भी प्रकार का दुष्प्रभाव कैंसर मरीजों पर नहीं होता है और इसके साथ साथ मरीजों के ऊर्जा स्तर में भी सुधार होता है।

डॉ. हार्डिया ने आगे कहा कि हमने कैंसर से होने वाले तकलीफों को खत्म करने के लिए औषधीय पौधों पर आधारित इलेक्ट्रो होम्योपैथी दवा ‘ऑन्को फोर्टे’ का शोध किया है, जिससे बेहद कम समय में मरीजों को कैंसर से होने वाले असहनीय दर्द में राहत मिलती है। ‘ऑन्को फोर्टे’ कैंसर ट्यूमर के दर्द और जलन को भी खत्म करने में रामबाण सिद्ध हो रहा है। आगे उन्होंने कहा, आज कितने ऐसे मरीज हैं जो इलेक्ट्रो होम्योपैथी के माध्यम से इलाज कराकर कैंसर जैसी बीमारी को पूर्ण रूप से हरा चुके हैं।

आगे डॉ. हार्डिया ने जोड़ देते हुए कहा, 21वीं सदी के कैंसर मरीजों का इलाज अब बिना कीमो, बिना रेडिएशन का संभव हुआ है। जिसके लिए देश के कोने कोने के साथ विदेशों से कैंसर मरीज अब देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल में आ रहे हैं। ऐसे में अब हमारी प्राथमिकता है कि इस देश के अधिकतर कैंसर मरीजों को इसका पूरा लाभ मिले।

इस दौरान किडनी रोग विशेषज्ञ डॉ. आशीष हार्डिया ने कहा कि मेरी प्राथमिकता है कि संसाधन की कमी के वजह से मध्य प्रदेश की जमीं पर कोई किडनी मरीज इलाज से वंचित न रह जाये। आगे उन्होंने कहा, वर्ष 2022 से किडनी के इलाज में ‘डोंट रिप्लेस रीग्रो, के मंत्र के साथ हम आगे बढ़ रहे हैं। हमारे ऊपर एक बड़ी जिम्मेदारी है। जहां इलेक्ट्रो होम्योपैथी की पहचान पर इस वक्त कई सवाल हैं तो वहीं दूसरी ओर इलेक्ट्रो होम्योपैथी की शोध तमाम चिकित्सा जगत के लिए मार्ग दर्शन का कार्य करें यह चुनौती। आगे उन्होंने कहा, आज हमने मध्य प्रदेश के धार जिले के आम लोगों के बीच यह जानकारी दी है कि इलेक्ट्रो होम्योपैथी के माध्यम से किडनी मरीजों का इलाज बिना डायलिसिस और बिना ट्रांसप्लांट के भी सम्भव है।

डॉ. आशीष ने आगे कहा कि जिन किडनी मरीजों का आज हमने इलाज किया हैं उनके अंदर इस बीमारी से लड़ने का एक नया विश्वास देखा है। जानकारी के आभाव में यहां के मरीजों के बीच तनाव की स्थिति है। ऐसे में यहां के तमाम सामाजिक मुद्दों पर कार्य कर रही संस्था से अपील करना चाहूंगा कि वह स्वास्थ्य के मुद्दों पर समय समय पर बीमारी के संदर्भ में अभियान चलाकर लोगों के अंदर हर प्रकार के बीमारी से लड़ने का विश्वास जगाये।

आगे उन्होंने कहा कि जिस सेंटर से मैं आता हूँ उसकी विशेषता है कि जो किडनी मरीज आज डायलिसिस के सहारे जी रहे हैं उनका डायलिसिस धीरे धीरे खत्म कर उनके किडनी को प्राकृतिक तरीके से रीग्रो करके उन्हें जीवन का वरदान दिया जा रहा है। एक महत्वपूर्ण संदेश का जिक्र करते हुए डॉ. आशीष हार्डिया ने कहा कि किडनी मरीज अब इलेक्ट्रो होम्योपैथी दवा के जरिये अपनी किडनी पुनः वृद्धि करके अपने किडनी फंक्शन को सामान्य कर सकते हैं। इस चिकित्सा परामर्श शिविर के सफल आयोजन में सुपर 60 के संयोजक दुर्गेश नागर, भोज शोध संस्थान के निदेशक डॉ. दीपेंद्र शर्मा, डॉ. रणछोड़ वास्केल आदि शख्सियतों का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा।

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devi ahilya July 10, 2023 0 Comments

राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस: भारत रत्न डॉ. बिधान चंद्र राय

आज राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस है। पहले शुभकामनायें दूं या बधाइयाँ, या सबसे पहले भारत रत्न डॉ. बिधान चंद्र राय जी पर कुछ बातें।
प्यारे साथियों, भारतीय इतिहास में डॉ. बिधान चंद्र राय जी चिकित्सक के साथ स्वतंत्रता सेनानी रहे। इनके ही जन्मदिन पर 1 जुलाई को भारत में ‘चिकित्सक दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। दरअसल, बिधान चंद्र राय जी हम सभी चकित्सकों के लिए एक अध्याय हैं। उनके जीवन और जीवन के मूल्यों से हमें प्रेरणा लेकर आगे बढ़ने की आवश्यकता है।

आप कल्पना कीजिये, एक ऐसा चिकित्सक जो अपने राष्ट्र के बेहद महत्वपूर्ण शख्सियतों के चिकित्सा हेतु याद किया जाता हो। जिस लिस्ट में भारत के प्रथम प्रधानमंत्री के पिता जी का नाम दर्ज हो, जिस लिस्ट में राष्ट्र के राष्ट्रपिता का नाम दर्ज हो, आप जरा कल्पना कीजिये, वह चिकित्सक कितना असामान्य होगा? डॉ. बिधान चंद्र राय अपने वक्त में विश्व के चिकित्सकों के बीच एक प्रमुख स्थान रखते थे।

अपने चिकित्सा कार्यों में वह इतने पारंगत थे कि रोगी का चेहरा देखकर ही रोग का निदान और उपचार बता देते थे। उनमें कार्य करने की अद्भुत क्षमता, उत्साह और शक्ति थी। उनके बारे में एक दिलचस्प बात कही जाती है कि उन्हें रोग की नाड़ी की भाँति ही उन्हें देश की नाड़ी का भी ज्ञान था। यही वजह थी कि वह पश्चिम बंगाल के द्वितीय मुख्यमंत्री रहे, उस दौर में देश की राजनीति में सक्रिय रहे, विशेष रूप से बंगाल के साथ भारत के लोग उन्हें आधुनिक पश्चिम बंगाल का निर्माता मानते हैं।

उनके द्वारा भारत के विभिन्न क्षेत्रों में बहुमुखी सेवाएँ प्रदान की गई जो भारत के आने वाले नई पीढ़ियों के लिए हमेशा प्रेरणा का विषय रहेगा। देश के औद्योगिक विकास, चिकित्साशास्त्र में महत्वपूर्ण अनुसंधान कार्य तथा शिक्षा की उन्नति में उनका प्रमुख कृतित्व था।

साथियों, आज वक्त है कि भारत रत्न डॉ. बिधान चंद्र राय जी को यादकर हम अपने लक्ष्य को निर्धारित करें। इलेक्ट्रो होम्योपैथी के जनक डॉ. कॉउंट सीजर मैटी जी ने जो पैथी हम सभी को सौगात में दिए, उसे आम लोगों तक ले जाने की शक्ति की प्रेरणा डॉ. बिधान चंद्र राय जी से भी लेनी चाहिए। इस वाक्य को लिखने के पीछे सिर्फ एक उदेश्य है कि उनमें कार्य करने की अद्भुत क्षमता, उत्साह और शक्ति थी, यही अद्भुत क्षमता, उत्साह और शक्ति हम सभी के चिकित्सा कार्यों के सफलता के पीछे की बड़ी वजह होती है और यह गर्व की बात है कि हमारे भारतीय चिकित्सा और चिकित्सकों के इतिहास में एक ऐसे चिकित्सक का उदाहरण रहा जिनके द्वारा सफलतापूर्वक भारत के विभिन्न क्षेत्रों में बहुमुखी सेवाएँ प्रदान की गई।

डॉ. बिधान चंद्र राय जी की एक बात भारतीय लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय हुई, जब स्वराज की महत्व को उन्होंने स्वास्थ्य से जोड़कर स्पष्ट कहा कि “जब तक लोग शरीर व मन से स्वस्थ व सशक्त नहीं होंगे, तब तक स्वराज स्वप्न ही रहेगा” और शरीर व मन से स्वस्थ व सशक्त करने के लिए उन्होंने आगे यह कहा कि “यह तब तक नहीं होगा, जब तक माताओं के पास बच्चों की देखभाल करने के लिए अच्छा स्वास्थ्य और बुद्धिमत्ता नहीं होगी।

आप इस संदर्भ को जरा समझिये। इस सोच के बाद महिलाओं और बच्चों के लिए चित्तरंजन सेवा सदन खोला जाता है। यह भारतीय इतिहास का वर्ष 1926 का अध्याय है।

भारत के लोगों के साथ यहां के सरकारी सिस्टम में लगे अधिकारियों को भी यह बात समझना होगा कि डॉ. बिधान चंद्र जी ने अपने वक्त में स्वास्थ्य और चिकित्सा सुविधा की समस्याओं को सुलझाने में अमूल्य योगदान दिए हैं तो उनके याद में खड़े हो रहे लोग क्या वाकई आज के स्वास्थ्य और चिकित्सा सुविधा की समस्याओं को लेकर सजग हैं? बड़ा सवाल है, मगर हमें अपनी गंभरिता को मौजूदा स्वास्थ्य और चिकित्सा के समक्ष बन रही चुनौतियों को समझना भी महत्वपूर्ण है।

भारत रत्न डॉ. बिधान चंद्र राय जी की स्मृति में बिधान चंद्र रॉय पुरस्कार की स्थापना वर्ष 1962 से मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा की जा रही है। इसे हर साल 1 जुलाई, राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस पर नई दिल्ली में भारत के राष्ट्रपति द्वारा प्रस्तुत किया जाता है। यह भारत में किसी डॉक्टर द्वारा प्राप्त किया जाने वाला सर्वोच्च सम्मान भी है।

भारत रत्न डॉ. बिधान चंद्र राय जी की 141 वीं जयंती पर उन्हें कोटि कोटि नमन: डॉ. अजय हार्डिया, निदेशक, देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल इंदौर।

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devi ahilya July 1, 2023 0 Comments

‘प्रगति पथ पर इंदौर’ कार्यक्रम के दौरान सम्मान

‘प्रगति पथ पर इंदौर’ कार्यक्रम के दौरान मध्यप्रदेश के गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा व भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल इंदौर के निदेशक डॉ. अजय हार्डिया व मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्रीमती मनीषा शर्मा को सम्मानित किया।

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devi ahilya May 4, 2023 0 Comments

तम्बाकू और ई-सिगरेट के विरुद्ध ऑस्ट्रेलिया के स्वास्थ्य मंत्री मार्क बटलर ऐतिहासिक कदम उठा रहे हैं, भारत के स्वास्थ्य मंत्री कब जागेंगे?

कैंसर बीमारी के विरुद्ध कार्य कर रहे संस्थानों के लिए आज वैश्विक पटल पर एक अहम मुद्दा हम सभी के सामने आया। ऐसे में अपने भारत के लोगों से इस खबर को साझा करना भी मेरे लिए महत्वपूर्ण है।

ऑस्ट्रेलिया की सरकार देश में तम्बाकू और और ई-सिगरेट उत्पादों के आयात पर प्रतिबंध लगाने जा रही है। ऑस्ट्रेलिया के युवाओं को बेहतर जिंदगी देने के लिए वहां की सरकार ई-सिगरेट के लिए न्यूनतम गुणवत्ता मानकों को पेश करेगी, जिसमें स्वाद, रंग और अन्य सामग्री को प्रतिबंधित करना शामिल है। अब ऑस्ट्रेलिया में ई-सिगरेट उत्पादों को फार्मास्युटिकल जैसी पैकेजिंग की आवश्यकता होगी। सभी एकल-उपयोग, डिस्पोजेबल ई-सिगरेट पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा।

सोमवार रात एबीसी के क्यू एंड ए पर बोलते हुए, स्वास्थ्य मंत्री, मार्क बटलर ने कहा कि तंबाकू उद्योग ई-सिगरेट के माध्यम से “निकोटीन की लत की नई पीढ़ी” बनाने की कोशिश कर रहा था और वह “इस सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरे पर मुहर लगाने के लिए दृढ़ संकल्पित” था।
ऑस्ट्रेलिया के कुछ स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने आवाज उठाई है कि गलत लेबलिंग और आयात खामियों के शोषण को रोकने के लिए गैर-निकोटीन ई-सिगरेट उत्पादों पर सीमा नियंत्रण भी रखा जाना चाहिए। वहां के स्वास्थ्य विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि ई-सिगरेट निर्माताओं द्वारा आयात प्रतिबंधों से बचने के लिए निकोटीन युक्त उत्पादों पर “निकोटीन-मुक्त” लिखकर गलत तरीके से पैकेट पर जानकारी दी जाती है, जिससे बच्चे आसानी से ई-सिगरेट खरीदने में सक्षम हो जाते हैं, इस वजह से वहां के युवा अक्सर अनजाने में निकोटीन सूंघ लेते हैं और इसके आदी हो जाते हैं।
यह कितनी अच्छी बात है कि ऑस्ट्रेलिया के स्वास्थ्य मंत्री मार्क बटलर को इस बात की फ़िक्र है कि उनके राष्ट्र के युवा पीढ़ी को किस तरह नुकसान किया जा रहा है।

स्वास्थ्य मंत्री ने आगे जानकारी दी की सुविधा स्टोर और अन्य खुदरा विक्रेताओं में ई-सिगरेट की बिक्री को समाप्त करने के लिए सरकार राज्यों और क्षेत्रों के साथ भी काम करेगी।

ऑस्ट्रेलिया के मीडिया के अनुसार स्वास्थ्य मंत्री मार्क बटलर का मानना है कि यह समस्या “ऑस्ट्रेलियाई इतिहास में सबसे बड़ी खामी” बन गई है जिससे निपटने के लिए संघीय बजट में भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

बटलर के भाषण के एक अंश में कहा गया है, “लंबे समय तक धूम्रपान करने वालों को धूम्रपान छोड़ने में मदद करने के लिए ई-सिगरेट को दुनिया भर की सरकारों और समुदायों को एक चिकित्सीय उत्पाद के रूप में बेचा गया था।” उनके भाषण में ई-सिगरेट को लेकर आगे कहा गया है कि “ई-सिगरेट विशेष रूप से हमारे बच्चों के लिए मनोरंजक उत्पाद के रूप में नहीं बेचा गया था, लेकिन यह मनोरंजक उत्पाद बन गया है, जो आज ऑस्ट्रेलियाई इतिहास की सबसे बड़ी खामी है।

ऑस्ट्रेलिया के मीडिया के माध्यम से मिली जानकारी के अनुसार वहां के लोगों को धूम्रपान छोड़ने हेतु प्रोत्साहित करने के लिए साक्ष्य-आधारित सार्वजनिक स्वास्थ्य सूचना अभियान के लिए बजट में धन में $ 63 मिलियन शामिल किया गया हैं। यह भी जानकारी मीडिया में दी गई है कि स्वास्थ्य विशेषज्ञ लंबे समय से नए सिरे से धूम्रपान विरोधी विज्ञापन अभियान चलाने की मांग कर रहे हैं। आस्ट्रेलियाई लोगों को धूम्रपान व् ई-सिगरेट छोड़ने में मदद करने के लिए समर्थन कार्यक्रमों में $30 मिलियन का निवेश किया जाएगा और स्वास्थ्य चिकित्सकों के बीच धूम्रपान और निकोटीन समाप्ति में शिक्षा और प्रशिक्षण को मजबूत किया जाएगा।ऑस्ट्रेलिया के उच्च विद्यालयों में ई-सिगरेट इस वक्त बच्चों के लिए व्यवहारिक मुद्दा बना हुआ है और यह प्राथमिक विद्यालयों में व्यापक होता जा रहा है।

पिछले 12 महीनों में, विक्टोरिया की ज़हर हॉटलाइन ने चार साल से कम उम्र के बच्चों के बीमार होने या ई-सिगरेट का उपयोग करने से बीमार होने के बारे में 50 कॉल प्राप्त की हैं।

इस खबर के अनुसार जरा भारत की जमीनी स्थिति को टटोलिये, युवाओं को जरा समझिये और फिर मौजूदा सरकार की स्थिति को भी जानिए। क्या भारत के स्वास्थ्य कर्मी बाकई इस मुद्दे को लेकर चिंतित हैं? विचार जरूर कीजियेगा?

  • डॉ. अजय हार्डिया, निदेशक,
    देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल इंदौर

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devi ahilya May 4, 2023 0 Comments