सरकार सावधान! आगे कैंसर है…
अभी से कुछ ही दिन पहले हमने अपने गणतंत्र के 74 वर्ष को पूरा करके 75 के पड़ाव को छुआ है। गणतंत्र की जरूरत इसीलिए थी ताकि राष्ट्र को एक अनुशासित माहौल में विकसित किया जा सके। हमने पिछले कुछ वर्षों में भारत माता की जयकार को जितनी जोर से लगाने की प्रथा को विकसित किया उसी अनुपात में हमने अपने भारत में अनुशासन के साथ खिलवाड़ किया है। यकीनन आप कह सकते हैं कि गणतंत्र में भी अब सेंध लगाने की कोशिश की जा रही है। मुझे लगता है कि आपको सबसे पहले सरकार के ही उन आकड़ों पर नज़र डालने की जरूरत है जिन आंकड़ों के माध्यम से हम कैंसर की गंभीर स्थिति को समझ सके।
वर्ष 2022 की बात करें तो इस एक वर्ष में लगभग 8 लाख 8 हज़ार 558 कैंसर मरीजों ने जान गंवाई है। मसलन एक घंटे की बात की जाये तो तक़रीबन 93 कैंसर मरीजों की मृत्यु के आंकड़ों को सरकार इस वक्त गिनकर देश को बता रही है। इस गंभीर स्थिति में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है कि कहीं हम कोई ऐसा मौहाल तो नहीं बना रहे हैं जो कैंसर मरीजों की मृत्यु के लिए मुंह बाएं खड़ा है? इस सवाल को जब आप टटोलेंगे तो आपको लगेगा हमने बिलकुल ऐसा ही किया है।
देखिये, हम सभी को जानकारी है कि धूम्रपान-सिगरेट या बीडी पीने से मुंह, गले, फेंफडे, पेट और मूत्राशय का कैंसर होने की संभावना होती है, फिर भी सरकार द्वारा इन चीजों को बाजार में आने से रोका नहीं जा रहा है। इसके साथ ही तम्बाकू, पान, सुपारी, पान मसाला और गुटका खाने से मुंह, जीभ, खाने की नली, पेट, गले, गुर्दे और अग्नाशय (पेनक्रियाज) का कैंसर होता है। अब इसके ठीक समानांतर इन नशीले पदार्थों के बाजारवाद के साम्राज्य को देख लीजिये।
जब इंदौर की गलियों से होते हुए आप शहर के चौक चौराहे की ओर कदम रखेंगे तो नई पीढ़ी के छात्रों की भी एक बड़ी संख्या है जो इस लत में आपको नज़र आएंगे। जो देश के सिस्टम, प्रशासन, संविधान के बेहद करीब रहते हैं, जिसे आप मंत्री कहते हैं उन्हें इस बात की जरा भी सोच नहीं कि दरअसल संविधान के जिन पन्नों में ‘स्वास्थ्य का अधिकार’ अनुच्छेद 21 के तहत एक मौलिक अधिकार के जिस रूप को लिए लिखा है तो फिर देश में लोगों को बीमार बनाने का यह कैसा खेल चल रहा है?
दरअसल इस स्थिति में आप इस बात को साफ साफ़ कह सकते हैं कि इस राष्ट्र में लोगों को कैंसर होता रहे और लोग लगातार मरते रहे, इससे आज की सरकारों को कोई फर्क नहीं पड़ता। आप जब देश के विभिन्न राज्यों पर नज़र लेकर जायेंगे तो इस कतार में उत्तर प्रदेश सामने नज़र आएगा, जहां इस वक्त सबसे ज्यादा कैंसर मरीजों की मृत्यु की संख्या देखी जा रही है, मगर इसके सामानांतर में जब आप देखेंगे कि इस चुनौती से निपटने के लिए राज्य सरकार की क्या व्यवस्थाएं हैं? तो सरकार भी मूल उदेश्यों के साथ खाली हाथ नज़र आएगी।
असल मायने में संविधान के पुजारियों के लिए यह स्टैंड कभी नहीं हो सकता कि एक तरफ ‘स्वास्थ्य का अधिकार’ व् संविधान की सेवा के लिए नेता, मंत्री शपथ लेते रहे और दूसरी ओर दो टके के लिए नशा का बाजार परोसते रहे, इसीलिए कहना पड़ा कि गणतंत्र की जरूरत इस राष्ट्र को एक अनुशासित माहौल में विकसित करने के लिए ही थी, परन्तु मौजूदा स्थिति में गणतंत्र में भी अब सेंध लगाने की कोशिश की जा रही है।
आपको इस बात को भी समझना होगा कि इन चुनौतियों से निपटने के लिए कुछ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थानों द्वारा लगातार कोशिश की जा रही है। विश्व कैंसर दिवस 4 फरवरी को कैंसर के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इसकी रोकथाम, पहचान और उपचार को प्रोत्साहित करने के लिए मनाया जाता है। विश्व कैंसर दिवस का प्राथमिक लक्ष्य कैंसर और बीमारी के कारण होने वाली मृत्यु की संख्या को कम करना है। आज से 91 वर्ष पूर्व वर्ष 1933 में अंतर्राष्ट्रीय कैंसर नियंत्रण संघ द्वारा स्विट्जरलैंड के जिनेवा शहर में पहली बार विश्व कैंसर दिवस मनाया गया था।
कैंसर के इलाज में देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल इंदौर की अनोखी पहल
देवी अहिल्या हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर का कैंसर हॉस्पिटल प्राकृतिक तरिके से कैंसर का उपचार का आज सबसे चर्चित इलेक्ट्रो होम्योपैथी का कैंसर अस्पताल है। वर्ष 2019 में स्थापित कैंसर अस्पताल विशेष उपचार प्रोटोकॉल के माध्यम से आशाहीन कैंसर रोगियों के लिए आशा की एक नई किरण साबित हो रहा है। यह भारत का पहला कैंसर मरीजों के लिए 100 बिस्तर से लैस आधुनिक इलेक्ट्रो होम्योपैथिक कैंसर अस्पताल है, जहां पूरी तरह से औषधीय पौधों पर आधारित इलेक्ट्रो होम्योपैथी का उपयोग दवा की प्रणाली के साथ-साथ उपचार के रूप में किया जाता है। देश विदेश से आने वाले कैंसर मरीजों के लिए यहां अत्यधिक सुसज्जित आधुनिक आईसीसीयू, क्रिटिकल केयर उपकरण, क्रिटिकल केयर एंबुलेंस, पैथोलॉजी, फार्मेसी आदि की 24 घंटे सुविधाएं प्रदान की जाती है। इसके साथ ही यहां कैंसर रोगियों के इलाज में उत्कृष्ट और अनोखा परिणाम देने के लिए नवीनतम तकनीक से लैस उच्च योग्य और अनुभवी टीम के साथ आपातकालीन डॉक्टरों की भी मौजूदगी रहती है, जो समर्पित होकर कैंसर मरीजों की देख रेख में 24/7 अपनी सेवाएं देते हैं।
कैंसर के इलाज में इलेक्ट्रो होम्योपैथी है कारगर
हमारा मानना है कि शरीर में सभी कोशिकाएं हमारे जीवन के दौरान निरंतर वृद्धि करती रहती है। सामान्य कोशिकाएं नियंत्रण में वृद्धि करती है जबकि कैंसर कोशिकाएं इस नियंत्रण को खो देती हैं और आवश्यकता से अधिक अनियंत्रित वृद्धि करने लगती हैं। ये कोशिकाएं शरीर के उस अंग को नुकसान पहुंचाते हैं जहां कोशिकाएं वृद्धि कर रही होती हैं और यह हमारे शरीर के अन्य भागों में भी फैल सकता है। कैंसर शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है। यह आमतौर पर सूजन, दर्द आदि के रूप में हमें नज़र आते हैं। यह हमारे शरीर में धीरे-धीरे किसी आकार में वृद्धि करता है और आसपास के ऊतकों को नुकसान पहुंचाना शुरू करता है। जैसे-जैसे कैंसर बढ़ता है, यह शरीर के आसपास की संरचनाओं पर आक्रमण करता है और शरीर के उस हिस्से को नुकसान पहुंचाता है। रक्त प्रवाह के माध्यम से यह शरीर के अन्य भाग जैसे फेफड़े, लिवर, हड्डियों, मस्तिष्क आदि में भी फैलता है। कैंसर की स्थिति में इलेक्ट्रो होम्योपैथी की दवा शरीर में चल रहे दूषित चैतन्य पदार्थ रस और रक्त को शुद्ध करके कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि को पूर्ण रूप से खत्म करता है और सामान्य कोशिकाओं को नियंत्रण में वृद्धि करने लिए ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाता है। जिससे सूजन और दर्द की स्थिति में इलेक्ट्रो होम्योपैथी दवा से तुरंत राहत मिलती है। शरीर के प्रत्येक हिस्से जहां पर कैंसर फैला होता है वहां इलेक्ट्रो होम्योपैथी दवा का सुचारु रुप से इस्तेमाल करके कैंसर को बढ़ने से रोका जा सकता है।
देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल की विशेषताएं
- देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल में ट्रीटमेंट के दौरान पूर्ण रूप से औषधीय पौधों पर आधारित इलेक्ट्रो होम्योपैथी दवाई ‘ऑन्को फोर्ट’ प्रयोग किया जाता है, जिससे न केवल कम समय में मरीज को कैंसर के असहनीय दर्द में राहत मिलती है बल्कि कैंसर ट्यूमर के दर्द और जलन में भी कमी आती है और इसके साथ साथ मरीज के ऊर्जा स्तर में भी सुधार होता है।
- यहां प्राकृतिक तरिके से बिना कीमो, बीना रेडिएशन व् बिना सर्जरी के कैंसर मरीजों का सफल इलाज किया जाता है। यही वजह है कि यहां सम्पूर्ण देश के साथ विदेशों से भी मरीज कैंसर के इलाज के लिए आते हैं।
- देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल में इलाज के दौरान प्रयोग की जाने वाली दवाइयों से कैंसर रोगियों को किसी भी प्रकार का दुष्प्रभाव नहीं होता है, साथ ही यहां ट्रीटमेंट करवाने से बहुत से मरीजों के जीवन में बढ़त भी देखी जाती है।
- अस्पताल के विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा कॉउंसलिंग की सुविधा देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल का अभिन्न हिस्सा है, जिससे मरीजों को कैंसर बीमारी से लड़ने में बल मिलता है।
- उच्च तकनीक से लैश डायग्नोस्टिक टूल ‘बायो एनर्जी इमेजिंग’ मशीन से एनर्जी लेवल की जाँच की सुविधा भी समय समय पर उपलब्ध करायी जाती है, जिससे कि सम्पूर्ण इलाज के दौरान स्वास्थ्य में सांख्यिकीय एवं वैज्ञानिक रूप से सुधार की तुलना की जा सके।
वर्ष 2022, फरवरी माह से देवी अहिल्या रीनल केयर सेन्टर के माध्यम से देश के किडनी मरीजों के लिए भी एक ऐसा अस्पताल शुरू किया गया हैं जहां बिना डायलीसिस व ट्रांसप्लांट के किडनी मरीजों का इलाज पूर्ण रूप से हर्बल इलेक्ट्रो होम्योपैथी के माध्यम से किया जा रहा है।
देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल द्वारा कैंसर के विरुद्ध राष्ट्र की सबसे बड़ी मुहिम ‘कैंसर मुक्त भारत अभियान’ का शुभारंभ
इन दिनों सम्पूर्ण भारतवर्ष में देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल इंदौर द्वारा कैंसर के विरुद्ध राष्ट्र की सबसे बड़ी मुहिम कैंसर मुक्त भारत अभियान चलाया जा रहा है। हमारा स्पष्ट मानना है कि अगर फर्स्ट स्टेज में कैंसर मरीजों का इलाज इलेक्ट्रो होम्योपैथी माध्यम से सुनिश्चित हो जाये तो अधिकतर कैंसर मरीजों की जिंदगी बच सकती है। इन्हीं कारणों से इस अभियान के दौरान आम लोगों को कैंसर मुक्त भारत की शपथ दिलाते हुए कैंसर रोग के विरुद्ध जागरूकता व् रोकथाम के लिए सभी आवश्यक उपायों का पालन करने हेतु प्रेरित किया जा रहा है।
इस आलेख को पढ़ने वाले पाठकों से भी अपील करना चाहूंगा कि इस बीमारी के प्रति आइये जागरूकता की एक मिसाल बनाते हैं। कभी भी किसी को कैंसर के लक्षण जैसे अचानक से वजन कम या ज्यादा होना, काम करने के दौरान जरूरत से ज्यादा थकान या कमजोरी महसूस होना, त्वचा के किसी भी हिस्से में बार बार नील पड़ जाती हो या उसके नीचे गाठ बन जाना, लंबे समय से खांसी या सांस लेने में कठिनाइ होना, पाचन समस्या में बार बार दस्त या कब्ज़ होना, भूख कम लगना या खाने की इच्छा नहीं होना, बार बार बुखार आना, बार बार मांसपेशियों में खिंचाव और दर्द महसूस होना, बार बार संक्रमण होना महसूस हो तो कैंसर विशेषज्ञ से अवश्य सलाह लें।
कैंसर मरीजों के लिए डाइट है जरूरी
कैंसर मरीजों के लिए जितना दवा जरुरी है उतना ही इस बीमारी से लड़ने के लिए डाइट की भी जरूरत होती है। कैंसर से होने वाले विभिन्न तकलीफों में मरीजों को कुछ ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए, जो उन्हें अंदर से मजबूत बनाते हुए उनके शरीर के कैंसरस कोशिकाओं के विकास को भी रोके और शरीर के स्वस्थ्य कोशिकाओं को भी विकसित होने में मदद करें।
कैंसर के इलाज के दौरान या कैंसर से बचाव के लिए आप विटामिन युक्त और रेशे वाले ही पौष्टिक भोजन खाएं। कीटनाशक एवं खाद्य संरक्षण रसायनों से युक्त भोजन धोकर खाएं। अधिक तलें, भुने, बार-बार गर्म किये तेल में बने और अधिक नमक में सरंक्षित भोजन न खाएं। फलों में विशेष रूप से केला, स्ट्रॉबेरी, आड़ू, कीवी, संतरा, आम, नाशपाती जैसे फलों का सेवन करना चाहिए। ये सभी विटामिन और फाइबर से भरपूर होते हैं। साथ ही अमरूद, एवोकाडो, अंजीर, खुबानी भी शरीर की खोई हुई एनर्जी को वापस पाने के लिए खा सकते हैं। आड़ू फल के कई स्वास्थ्य लाभ हैं। यह मिनरल और विटामिन से समृद्ध होता है। साथ ही आड़ू में फाइटोकेमिकल्स, डाइटरी फाइबर और पॉलीफेनोल की भी भरपूर मात्रा होती है। ये सभी स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं। इनके अलावा, आड़ू में एंटीकैंसर, एंटी-एलर्जिक, एंटीट्यूमर, एंटीबैक्टीरियल, एंटीमाइक्रोबियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी प्रभाव होते हैं। इस वजह से आड़ू स्वास्थ्य पर सकारात्मक असर डालने और बीमारी से बचाव कर सकता है। चूँकि देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल में प्राकृतिक तरिके से इलाज किया जाता है तो यहां मरीजों के लिए साफ अलग किस्म का भोजन खाने में सलाह दिया जाता है। कैंसर संबंधित इलाज व् परामर्श हेतु 9827058514 पर संपर्क करें।