पिछले पांच वर्षों में इलेक्ट्रो होम्योपैथी की विश्वसनीयता का ग्राफ हमने लगातार बढ़ते देखा है: डॉ. अजय हार्डिया
देवी अहिल्या हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर संस्थान के निदेशक के तौर पर जब आगे बढ़ रहे हैं तो हमारे सामने समय समय पर विभिन्न चुनौतियाँ मौजूद रहती हैं और इन चुनौतियों को सही समय पर स्वीकार कर इसके विपरीत सही एक्शन लेना हमारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। हम ऐसा नहीं कहते हैं कि पिछले पांच वर्षों में ही यह ग्राफ लगातार बढ़ते नज़र आ रहा है। इलेक्ट्रो होम्योपैथी का इतिहास का कनेक्शन तो 15 अक्टूबर 1848 से भी जुड़ा है, जब डॉ. काउंट सीजर मैटी जी ने आधिकारिक तौर पर राजनीतिक जीवन को त्यागकर दवा के अध्ययन के लिए पूरा समय देना शुरू कर दिया। इससे उच्चतम ग्राफ कुछ और नहीं हो सकता, क्योंकि इसी सफर के दौरान उनका अनुभव कहता है कि भगवान द्वारा निर्मित औषधि वनस्पतियों से गंभीर से गंभीर बीमारी के साथ कैंसर का भी इलाज किया जा सकता है। इस कोशिश में वह 1849 से अपनी प्रणाली विकसित करना शुरू करते हैं, फिर 1865 का इतिहास जब इलेक्ट्रो होम्योपैथी हमारे सामने होता है। इन तमाम ऐतिहासिक दिनों को हमें बहुत अदब के साथ अपनी यात्रा में गजह देना होगा। देखिये, आज इन बातों को रखने का हमारा सिर्फ एक उदेश्य है, जब मैंने 10 फरवरी 2023 को आपके समक्ष सोशल मीडिया के माध्यम से एक संदेश रखा था तो मैंने कहा था कि एक कलेक्टिव गोल निर्धारित करना चाहते हैं, जिसका मुख्य उदेश्य फर्स्ट और सेकेंड स्टेज के कैंसर मरीजों का इलाज शुरुआती दिनों में इलेक्ट्रो होम्योपैथी के माध्यम से सुनिश्चित करना है। अगर हम ऐसा करने में सफल होते हैं तो यकीनन इस राष्ट्र के लाखों कैंसर मरीजों के जीवन को सुरक्षित बचा सकते हैं। दरअसल इसे हम वर्ष 2023 के लिए चुनौती समझते हैं। अभी हाल ही में रेडियो सिटी मुंबई के साथ जब एक साक्षात्कार में मुझसे सबसे बड़ी चुनौती के बारे में पूछा गया तो मैंने इसी बात को स्पष्ट रूप से उस प्लेटफार्म पर भी रखा। इस चुनौती को स्वीकार करने के दौरान ही हमें अब ऐसे भी मरीज संपर्क कर रहे हैं जो कैंसर के लक्षण के दौरान अगर उन्हें एहसास होता है कि यह तकलीफ कहीं कैंसर तो नहीं? तो उस हाल में वे बीमारी सम्बन्धित तमाम सवालों की जानकारी ले रहे हैं। इलेक्ट्रो होम्योपैथी के माध्यम से क्या संभव इलाज है इस संबंध में भी वे संभावनाएं तलाश रहे हैं। सही दिशा में आगे बढ़ने के दौरान यह एक सही संकेत के साथ सकारात्मक परिणाम का भी असर है। यह हमें एहसास दिलाता है कि विश्वसनीयता का ग्राफ लगातार बढ़ है। इलेक्ट्रो होम्योपैथी के संदर्भ में जागरूकता के लिए निरंतर प्रयास कर रहे आप तमाम चिकित्सकों का बहुत बहुत धन्यवाद: डॉ. अजय हार्डिया, निदेशक, देवी अहिल्या हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर।