मध्य प्रदेश के धार की जमीं पर आज हमने कैंसर के विरुद्ध जन आंदोलन का शुभारंभ किया है: श्रीमती मनीषा शर्मा

devi ahilya July 10, 2023 0 Comments

दिनांक 5 जुलाई 2023 दिन बुधवार को धार स्थित विक्रम ज्ञान मंदिर में कैंसर व किडनी मरीजों के इलाज हेतु एक दिवसीय निःशुल्क चिकित्सा परामर्श शिविर का आयोजन किया गया। इस शिविर का आयोजन देवी अहिल्या कैंसर केयर फाउंडेशन व भोज शोध संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। जिसमें भारत के बेहद चर्चित कैंसर हॉस्पिटल देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल इंदौर के निदेशक व मशहूर कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. अजय हार्डिया द्वारा कैंसर मरीजों का निशुल्क इलाज किया गया। इस शिविर के दौरान देवी अहिल्या हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के रीनल केयर विभाग के प्रमुख व किडनी रोग विशेषज्ञ डॉ. आशीष हार्डिया द्वारा किडनी मरीजों का इलाज किया गया।

देवी अहिल्या कैंसर केयर फाउंडेशन की निदेशिका श्रीमती मनीषा शर्मा ने कहा कि मध्य प्रदेश के धार की जमीं पर आज हमने कैंसर के विरुद्ध जन आंदोलन का शुभारंभ किया है। इस आंदोलन के जरिये हमारा मकसद भारत के कैंसर मरीजों के लिए इलाज से लेकर जागरूकता के तमाम आयामों पर कार्य करना है।

आगे उन्होंने कहा, कैंसर मरीजों के समक्ष वर्ष 2023 के लिए हमने 5 मुख्य चुनौतियों को चिन्हित किया है।
जिसमें पहला चुनौती है कि कैंसर के संबंध में तमाम जानकारियों को लेकर भारत में व्यापक स्तर पर जागरूकता फैलाना है, जिसके जरिये फर्स्ट स्टेज में ही कैंसर मरीजों का सफल इलाज हो सके। दूसरी चुनौती, मौजूदा दौर में कैंसर मरीजों के समक्ष हम आर्थिक संकट की स्थिति देख रहे हैं, ऐसे में देवी अहिल्या कैंसर केयर फाउंडेशन के माध्यम से फंड रेजिंग कैंपेन चलाया जा रहा है, जिसके जरिये अधिक से अधिक कैंसर मरीजों को हम सीधा आर्थिक लाभ दे सकें।

तीसरी चुनौती, भारत को नशा मुक्त राष्ट्र बनाने के लिए भारत के लोगों के बीच जागरूकता फैलाना, जिससे साफ़ तौर पर तम्बाकू, शराब आदि नशीले पदार्थों को रोककर इन पदार्थों से होने वाले कैंसर से भारतीय लोगों को बचा सके।

चौथी चुनौती, अभी हम देख रहे हैं कि भारतीय जमीं पर थर्ड और फोर्थ स्टेज के कैंसर मरीजों का इलाज भी बहुत दर्दनाक स्थिति में हो रहा है तब जब इलेक्ट्रो होम्योपैथी के माध्यम से बिना कीमो, बिना रेडिएशन व् बिना सर्जरी के कैंसर का इलाज संभव है। ऐसे में भारत में इलेक्ट्रो होम्योपैथी के माध्यम से शत प्रतिशत कैंसर मरीजों का इलाज सुनिश्चित करना हमारे लिए चुनौती है।

पांचवी चुनौती, भारत कृषि प्रधान देश है, मगर दुखद स्थिति है कि कीटनाशक दवाइयां जो दवा नहीं, जहर है जिसे भारत सरकार द्वारा प्रतिबंधित किया गया, परन्तु यह कीटनाशक, रासायनिक दवाइयाँ धड़ल्ले से बिक रही है, जिसका परिणाम है कि भारतीय लोग सुरक्षित फसल से दूर हैं। ऐसे में आर्गेनिक खेती कर रहे किसान भाइयों एवं बहनों को प्रोत्साहित करना व भारतीय लोगों को जैविक खाद्य पदार्थों को अपने जीवन का हिस्सा बनाना के लिए प्रेरित करना है।


आगे उन्होंने कहा कि हमने अपने कार्यों को चुनौती के रूप में स्वीकार किया है और जमीनी स्तर तक हम यह संदेश देना चाहते हैं कि जैविक खेती से प्राप्त होने वाले खाद्य पदार्थों में 40 से 50 प्रतिशत ज्यादा एंटीऑक्सीडेंट तत्व पाए जाते हैं। एंटीऑक्सीडेंट ही वह तत्व होता है जिससे शरीर की कोशिकाओं को खराब होने से बचाया जा सकता है। अगर इसकी मात्रा हमारे शरीर में भरपूर है तो हमें किसी भी हाल में कैंसर नहीं हो सकता।

इस दौरान देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल इंदौर के निदेशक डॉ. अजय हार्डिया ने कहा अब वक्त आ गया है कि भारतीय लोग कैंसर को सामान्य बीमारी के तौर पर लें, आगे उन्होंने कहा, हमने पिछले कुछ वर्षों में शोध भी देखे हैं, सफलता भी देखे हैं, प्रयोग भी देखे हैं, परिणाम भी देखे हैं।

उन्होंने जानकारी दी कि इलेक्ट्रो होम्योपैथी स्वस्थ भारत का एकमात्र स्वस्थ पैथी का विकल्प है, जिसका परिणाम है कि देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल इंदौर में अब कैंसर मरीज, कैंसर को पूर्ण रूप से खत्म करने की उम्मीद लेकर आ रहे हैं।

इस पैथी के बारे में जानकारी देते हुए डॉ. हार्डिया ने कहा, देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल इंदौर आज भारत का पहला कैंसर हॉस्पिटल है जहां कैंसर मरीजों का पूर्ण रूप से हर्बल इलेक्ट्रो होम्योपैथी दवाइयों से इलाज किया जा रहा है, जिसका किसी भी प्रकार का दुष्प्रभाव कैंसर मरीजों पर नहीं होता है और इसके साथ साथ मरीजों के ऊर्जा स्तर में भी सुधार होता है।

डॉ. हार्डिया ने आगे कहा कि हमने कैंसर से होने वाले तकलीफों को खत्म करने के लिए औषधीय पौधों पर आधारित इलेक्ट्रो होम्योपैथी दवा ‘ऑन्को फोर्टे’ का शोध किया है, जिससे बेहद कम समय में मरीजों को कैंसर से होने वाले असहनीय दर्द में राहत मिलती है। ‘ऑन्को फोर्टे’ कैंसर ट्यूमर के दर्द और जलन को भी खत्म करने में रामबाण सिद्ध हो रहा है। आगे उन्होंने कहा, आज कितने ऐसे मरीज हैं जो इलेक्ट्रो होम्योपैथी के माध्यम से इलाज कराकर कैंसर जैसी बीमारी को पूर्ण रूप से हरा चुके हैं।

आगे डॉ. हार्डिया ने जोड़ देते हुए कहा, 21वीं सदी के कैंसर मरीजों का इलाज अब बिना कीमो, बिना रेडिएशन का संभव हुआ है। जिसके लिए देश के कोने कोने के साथ विदेशों से कैंसर मरीज अब देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल में आ रहे हैं। ऐसे में अब हमारी प्राथमिकता है कि इस देश के अधिकतर कैंसर मरीजों को इसका पूरा लाभ मिले।

इस दौरान किडनी रोग विशेषज्ञ डॉ. आशीष हार्डिया ने कहा कि मेरी प्राथमिकता है कि संसाधन की कमी के वजह से मध्य प्रदेश की जमीं पर कोई किडनी मरीज इलाज से वंचित न रह जाये। आगे उन्होंने कहा, वर्ष 2022 से किडनी के इलाज में ‘डोंट रिप्लेस रीग्रो, के मंत्र के साथ हम आगे बढ़ रहे हैं। हमारे ऊपर एक बड़ी जिम्मेदारी है। जहां इलेक्ट्रो होम्योपैथी की पहचान पर इस वक्त कई सवाल हैं तो वहीं दूसरी ओर इलेक्ट्रो होम्योपैथी की शोध तमाम चिकित्सा जगत के लिए मार्ग दर्शन का कार्य करें यह चुनौती। आगे उन्होंने कहा, आज हमने मध्य प्रदेश के धार जिले के आम लोगों के बीच यह जानकारी दी है कि इलेक्ट्रो होम्योपैथी के माध्यम से किडनी मरीजों का इलाज बिना डायलिसिस और बिना ट्रांसप्लांट के भी सम्भव है।

डॉ. आशीष ने आगे कहा कि जिन किडनी मरीजों का आज हमने इलाज किया हैं उनके अंदर इस बीमारी से लड़ने का एक नया विश्वास देखा है। जानकारी के आभाव में यहां के मरीजों के बीच तनाव की स्थिति है। ऐसे में यहां के तमाम सामाजिक मुद्दों पर कार्य कर रही संस्था से अपील करना चाहूंगा कि वह स्वास्थ्य के मुद्दों पर समय समय पर बीमारी के संदर्भ में अभियान चलाकर लोगों के अंदर हर प्रकार के बीमारी से लड़ने का विश्वास जगाये।

आगे उन्होंने कहा कि जिस सेंटर से मैं आता हूँ उसकी विशेषता है कि जो किडनी मरीज आज डायलिसिस के सहारे जी रहे हैं उनका डायलिसिस धीरे धीरे खत्म कर उनके किडनी को प्राकृतिक तरीके से रीग्रो करके उन्हें जीवन का वरदान दिया जा रहा है। एक महत्वपूर्ण संदेश का जिक्र करते हुए डॉ. आशीष हार्डिया ने कहा कि किडनी मरीज अब इलेक्ट्रो होम्योपैथी दवा के जरिये अपनी किडनी पुनः वृद्धि करके अपने किडनी फंक्शन को सामान्य कर सकते हैं। इस चिकित्सा परामर्श शिविर के सफल आयोजन में सुपर 60 के संयोजक दुर्गेश नागर, भोज शोध संस्थान के निदेशक डॉ. दीपेंद्र शर्मा, डॉ. रणछोड़ वास्केल आदि शख्सियतों का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा।

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