राष्ट्रीय इलेक्ट्रो होम्योपैथी दिवस पर दिया जायेगा 5 हस्तियों को डॉ. एन. एल. सिन्हा सम्मान, आवेदन की अंतिम तिथि 10 नवंबर 2023

30 नवंबर 2023 का दिन अब बेहद करीब है, ऐसे में देवी अहिल्या ग्रुप द्वारा राष्ट्रीय इलेक्ट्रो होम्योपैथी दिवस की तैयारियां भी शुरू की जा रही है। इस आयोजन के दौरान आपको बता दें ‘डॉ. एन. एल. सिन्हा अवार्ड’ का भी आयोजन किया जाता है। भारत की जमीं पर इलेक्ट्रो होम्योपैथी के क्षेत्र में यह वर्ष का दूसरा सबसे बड़ा आयोजन होता है जो प्रत्येक वर्ष देवी अहिल्या हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर व् नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ इलेक्ट्रो होम्योपैथी द्वारा आयोजित किया जाता है।

नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ इलेक्ट्रो होम्योपैथी के निदेशक डॉ. अजय हार्डिया द्वारा दिनांक 30 नवंबर 2021 प्रथम राष्ट्रीय इलेक्ट्रो होम्योपैथी दिवस के अवसर पर डॉ. एन. एल. सिन्हा अवार्ड की घोषणा की गई थी। तब से इस सम्मान को इलेक्ट्रो होम्योपैथी जगत का सबसे सर्वोच्च सम्मान के रूप में भी देखा जाता है। वर्ष 2022 में पहली बार इस सम्मान को इलेक्ट्रो होम्योपैथी के क्षेत्र में अहम योगदान दे रहे 5 हस्तियों को दिया गया था। यह सम्मान विशेष रूप से उन हस्तियों को दिया जाता है जो अपने विपरीत परिस्थितयों के बीच इलेक्ट्रो होम्योपैथी के माध्यम से आम जन की स्वास्थ्य सेवाओं में भूमिका निभाते हुए स्वस्थ राष्ट्र बनाने के लिए अहम पहल कर रहे हैं। वर्ष 2022 में जिन हस्तियों को डॉ. एन. एल. सिन्हा सम्मान से सम्मानित किया गया था उसमें, डॉ. राजेश कुमार महेश्वरी, डॉ. इरफ़ान अहमद खान, डॉ. हातिम अली, डॉ. पंकज कुमार सोनी व् डॉ. मनीष राठौर का नाम दर्ज है।

आपको बता दें, इलेक्ट्रो होम्योपैथी के बेहद प्रतिष्ठित संस्थान देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल इंदौर की ओर से यह सम्मान इलेक्ट्रो होम्योपैथी के क्षेत्र में अहम योगदान दे रहे 5 हस्तियों को डॉ. एन. एल. सिन्हा जयंती के अवसर पर इस वर्ष भी दिया जायेगा। जिसकी घोषणा डॉ. अजय हार्डिया द्वारा आयोजन के दौरान किया जायेगा। अवार्ड के नोमिनेशन हेतु देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल इंदौर द्वारा फॉर्म भी जारी कर दिया गया है। इस दौरान देवी अहिल्या हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर की मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्रीमती मनीषा शर्मा ने कहा कि इस वर्ष हम बेहद साधारण और टेक्नो फ्रेंडली प्रक्रिया के जरिया नॉमिनेशन की पूरी प्रक्रिया को पूर्ण करेंगे। उन्होंने आगे कहा कि आयोजन के पूर्व ही इलेक्ट्रो होम्योपैथी के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले 5 हस्तियों का नाम का चयन कर लिया जायेगा।

आपको बता दें, इस पूरी प्रक्रिया के दौरान आवेदक का दो स्तर पर चयन किया जायेगा। ऑनलाइन फॉर्म फिल अप के स्तर पर चयन की पहली प्रक्रिया होगी तो वहीं दूसरे राउंड में वीडियो प्रेजेंटेशन चयन की आखिरी प्रक्रिया होगी।

अतः इस प्रक्रिया के दौरान आवेदक को बहुत ध्यानपूर्वक फॉर्म भरना होगा। फॉर्म के स्तर पर तक़रीबन 30 फीसद ही फॉर्म का चयन कर वीडियो प्रेजेंटेशन के लिए आवेदक का चयन किया जायेगा। वीडियो प्रेजेंटेशन इस प्रक्रिया का अंतिम व् निर्णायक राउंड होगा। जिस दौरान आवेदक को पूर्ण परिचय से लेकर इलेक्ट्रो होम्योपैथी में विशेषज्ञता के आधार के सम्बन्ध में क्यों? कब? और कैसे? विषय पर स्पष्ट विचार साझा करना होगा। वीडियो के इसी कड़ी में आवेदक को अपनी जानकारी व् कौशल के प्रभाव, परिणाम व् महत्व पर विशेष प्रकाश डालना होगा।

इस दौरान आवेदक की इलेक्ट्रो होम्योपैथी में जिस भी क्षेत्र में विशेषज्ञता है उस क्षेत्र के समक्ष चुनौतियाँ व् संभावनाएं पर भी स्पष्ट विचार साझा करना होगा। वीडियो के आखिरी कड़ी में विजनरी लीडर के तौर पर मौजूदा चुनौतियाँ व् तथ्यों को देखते हुए 2 मुख्य सुझाव भी साझा करना होगा, जिससे मानव कल्याण हेतु स्वास्थ्य जगत में इलेक्ट्रो होम्योपैथी को मुख्यधारा से जोड़ा जा सके। आयोजन के पूर्व इस वीडियो को देवी अहिल्या हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के तमाम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भी साझा किया जायेगा। साथ ही आयोजन के दौरान प्रेस रिलीज के माध्यम से प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक्स व् डिजिटल मीडिया के संस्थानों को डॉ. एन. एल. सिन्हा अवार्ड 2023 के लिए चयनित नामों की सूचि भी दी जाएगी।

इस सम्मान का मुख्य उदेश्य इलेक्ट्रो होम्योपैथी के विभूतियों के प्रेरणात्मक अवदान से राष्ट्र को परिचित कराना है। इलेक्ट्रो होम्योपैथी की खोज तो डॉ. कॉउंट सीजर मैटी द्वारा की गई थी, परन्तु भारत में इसे वास्तविक रूप से स्थापित करने का श्रेय डॉ. एन. एल. सिन्हा जी को जाता है। यही वजह है कि डॉ. एन. एल. सिन्हा जी की जयंती पर इलेक्ट्रो होम्योपैथी के क्षेत्र में बेहतर कर रहे शख्सियतों के सम्मान हेतु डॉ. एन. एल. सिन्हा सम्मान प्रस्तुत किया जाता है।

वर्ष 1881 के दौरान इटली में आधिकारिक चिकित्सा द्वारा विरोध किए जाने के बावजूद, डॉ. कॉउंट सीजर मैटी ने इलेक्ट्रो-होम्योपैथिक दवाओं का बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू किया। उन्होंने विदेशों में भी निर्यात किया, आगे उन्होंने इलेक्ट्रो होम्योपैथी की किताबें लिखी और अपने चिकित्सा विज्ञान का प्रचार प्रसार करने के लिए दुनिया के प्रत्येक देश में किताबों को भेजना प्रारंभ किया। यह वही दौर था जब इलेक्ट्रो होम्योपैथी का विस्तार इटली से दूसरे देशों में होता है।

यकीनन उस दौर में कई शख्सियत होंगे जो इस पैथी से रूबरू हुए होंगे, परन्तु डॉ. एन. एल. सिन्हा जी ने इसे बेहद गंभीरता से लिया और भारत के आम जनों के लिए वर्ष 1900 के प्रथम दशक में स्वास्थ्य सेवाओं से जोड़ा। उन्होंने जिस संकल्प और सिद्दत से विभिन्न रोगों से ग्रसित मरीजों का इलाज किया उसी संकल्प और सिद्दत से इलेक्ट्रो होम्योपैथी को वास्तविक रूप से धरातल पर उतारने के लिए इस पैथी से सम्बंधित विभिन्न रोगों के संदर्भ में किताबें लिखी और इसके शिक्षा के दिशा में कार्य करते हुए वर्ष 1920 में देश के सबसे प्रतिष्ठित संस्थान नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ़ इलेक्ट्रो काम्प्लेक्स होम्योपैथी की भी स्थापना किया।

उन्होंने एम.डी.ई.एच. की डिग्री लन्दन से हासिल किया। साथ ही पी.एच.डी., एम.डी.एच., ए.डी. व् एल.डी.एच. की डिग्री अमेरिका से प्राप्त की। डॉ. सिन्हा अपने वक्त में देश के प्रमुख्य आइरिस डायग्नोसिस विषेशज्ञों में से एक थे। वह इंटनेशनल कॉउंसिल ऑफ़ होम्योपैथिक फिजिशियंस (यू.एस.ए) के भी सदस्य रहे। डॉ. सिन्हा का योगदान उन्नीसवीं, बीसवीं व् इक्कीसवीं सदी के इलेक्ट्रो होम्योपैथ जगत के साथ अन्य पैथी के चिकित्सा के क्षेत्र में कार्य कर रहे शख्सियतों के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। विशेषकर भारतीय इलेक्ट्रो होम्योपैथी जगत के लिए डॉ. सिन्हा, डॉ. काउंट सीजर मैटी के बाद एक मात्र स्तंभ के रूप में अपनी भमिका निभाई। उन्होंने अपने समय में कैंसर रोग को खत्म करने की दिशा में शोध करने के साथ साथ कई महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया। डॉ. सिन्हा बाकायदा ‘कैंसर की समस्या’ टाइटल से किताबें लिखी। अपने प्रैक्टिस के वक्त कैंसर रोगियों का पूर्ण रूप से इलाज करके उन्हें ठीक भी किया।

इलेक्ट्रो होम्योपैथी को मुख्य धारा में लाने के लिए डॉ. एन. एल. सिन्हा इस बात को महसूस कर रहे थे कि सरकार अगर इस चिकित्सा पद्धति पर कार्य करने की योजना बना लेती है तो यह चिकित्सा पद्धति आम लोगों को रोग मुक्त करने में सबसे सफल चिकित्सा पद्धति साबित होगी। अर्थात इसी जरूरत को लेकर इलेक्ट्रो होम्योपैथी की मान्यता के लिए डॉ. सिन्हा ने वर्ष 1953 में एक माह के लिए आमरण अनशन किया। यह उस दौर का वक्त था जब आयुर्वेद और होम्योपैथ भी मान्यता के लिस्ट में दर्ज नहीं किया गया था। हालांकि इस पर उत्तर प्रदेश सरकार की भी प्रतिक्रिया आई और तत्कालीन सरकार के मुख्य सचिव ने डॉ. सिन्हा को पत्र के माध्यम से संदेश भेजा कि निश्चित ही इस पैथी को मान्यता दिलाएंगे। इसी कड़ी में सरकार की निगरानी में डॉ. सिन्हा को इलाज करने के लिए 6 कुष्ठ रोग के मरीज दिए गए, जिसमें डॉ. सिन्हा ने 5 मरीजों को पूर्ण रूप से ठीक कर इलेक्ट्रो होम्योपैथी की छवि सरकार के समक्ष विकसित किया।

अतः डॉ. सिन्हा के महत्वपूर्ण योगदान को देखते हुए देवी अहिल्या हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के निदेशक डॉ. अजय हार्डिया के आह्वान पर पूरे देश भर में उनके जन्मदिन के अवसर पर पहली बार 30 नवंबर 2021 को राष्ट्रीय इलेक्ट्रो होम्योपैथी दिवस मनाया गया था। इसी आयोजन के दौरान देवी अहिल्या हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर व् नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ इलेक्ट्रो होम्योपैथी द्वारा वर्ष 2022 से डॉ. एन. एल. सिन्हा अवार्ड का भी आयोजन किया जा रहा है।

डॉ. एन. एल. सिन्हा अवार्ड 2023 के लिए यहां अवार्ड नॉमिनेशन फॉर्म की कॉपी की लिंक दी गई है। अगर आप इस सम्मान के लिए नॉमिनेशन कराना चाहते हैं तो आज ही ( https://forms.gle/3NAeqosxVW84CsX76 ) इस लिंक पर क्लिक कर फॉर्म भरें। आवेदन करने की अंतिम तिथि 10 नवंबर 2023 है।

इस प्रक्रिया के लिए किसी भी तरह का शुल्क नहीं लिया जायेगा। अवार्ड फॉर्म नॉमिनेशन संबंधित किसी भी तरह की जानकारी के लिए देवी अहिल्या हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर इंदौर के हेल्पलाइन नंबर 9685029784 पर आज ही संपर्क करें।

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devi ahilya October 4, 2023 0 Comments