‘कैंसर की जंग जीतेंगे हम’ शीर्षक के साथ प्रकाशित हुआ देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल के निदेशक व् मशहूर कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. अजय हार्डिया का आलेख, आलेख के जरिये मौजूदा सरकार से दर्जनों सवाल, डॉ. हार्डिया ने राष्ट्र के मौजूदा नेतृत्व पर बड़ा आरोप भी लगाया, आलेख में स्पष्ट लिखा ‘स्वास्थ्य को लकेर राष्ट्र का मौजूदा नेतृत्व गंभीर नहीं’। पढ़िए विश्व कैंसर दिवस पर देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल इंदौर के निदेशक व् मशहूर कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. अजय हार्डिया का आलेख।
आज विश्व कैंसर दिवस है। विश्व कैंसर दिवस 4 फरवरी को कैंसर के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इसकी रोकथाम, पहचान और उपचार को प्रोत्साहित करने के लिए मनाया जाता है। विश्व कैंसर दिवस का प्राथमिक लक्ष्य कैंसर बीमारी के कारण होने वाली मौतों को कम करना है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, कैंसर दुनिया भर में मौत के प्रमुख कारणों में से एक है। वर्ष 1993 में स्विट्जरलैंड के जेनेवा में यूनियन फॉर इंटरनेशनल कैंसर कंट्रोल द्वारा पहला अंतरराष्ट्रीय कैंसर दिवस मनाया गया। यह संस्था विश्व भर में कैंसर के उन्मूलन की दिशा में कार्य करती है और चिकित्सा अनुसंधान को भी आगे बढ़ा रही है।
विश्व कैंसर दिवस को वर्ष 2000 में कैंसर के खिलाफ पहले विश्व शिखर सम्मेलन में आधिकारिक दिवस बनाया गया था। यह आयोजन पेरिस में हुआ था और इसमें कैंसर संगठनों के सदस्यों और दुनिया भर के प्रमुख सरकारी नेताओं ने भाग लिया था। ‘कैंसर के खिलाफ पेरिस का चार्टर’ शीर्षक वाले एक दस्तावेज पर 10 लेखों को शामिल करते हुए हस्ताक्षर किए गए, जो कैंसर रोगियों की सुविधाओं और जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए एक वैश्विक प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है। साथ ही दस्तावेज में कैंसर के शोध, रोकथाम और उपचार में उन्नति और निवेश में वृद्धि पर भी प्रकाश डाला गया था। इस चार्टर के अनुच्छेद X ने आधिकारिक तौर पर 4 फरवरी को विश्व कैंसर दिवस मनाने की घोषणा की गई है।
कैंसर के कई प्रकार होते हैं, इसलिए एक विशिष्ट प्रकार के कैंसर को चिह्नित करने और इसके खिलाफ लड़ाई को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न रंगों और प्रतीकों का उपयोग किया जाता है। उदाहरण के लिए, नारंगी रिबन बच्चों में कैंसर के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए है, जबकि गुलाबी रिबन विश्व स्तर पर स्तन कैंसर जागरूकता से जुड़ा है।
वर्तमान में दुनिया भर में हर साल लगभग 1 करोड़ लोग कैंसर से दम तोड़ते हैं। अगर भारत की बात करें तो वर्ष 2022 में कैंसर के मामलों की अनुमानित संख्या 1461427 थी, जिसमें पुरुषों की तुलना में महिलाओं की संख्या अधिक देखी गई। महिलाओं की संख्या तकरीबन 749251 थी, जबकि पुरुषों की संख्या 712176 थी। महिलाओं और पुरुषों में सबसे अधिक कैंसर पाचन तंत्र के अंगों (288054), स्तन (221757), जेनिटल सिस्टम (218319), ओरल कैविटी व फैरिंक्स (198438) और श्वसन तंत्र (143062) में होता होता है, इसलिए समय की मांग है कि इस बीमारी के बारे में जागरूकता बढ़ाने के साथ साथ कैंसर से निपटने की व्यावहारिक रणनीति विकसित करना है।
अनुमान के मुताबिक इन तथ्यों से भी अधिक कैंसर मरीजों की संख्या इस वक्त भारत में है। इस देश के कई महिलाएं ऐसी भी हैं जो कैंसर की पीड़ा को सहती रहती हैं परन्तु वो जाँच व् इलाज के लिए अस्पताल के दरवाजे तक नहीं पहुंचती। विशेष रूप से भारत के कई क्षेत्रों व् समुदाय को चिन्हित करके हमें जागरूकता बढ़ाने के लिए आगे आना होगा। इन तथ्यों को हमें गंभीरता से लेना होगा। भारत की जमीं पर भारत के शीर्ष नेताओं के विकसित राष्ट्र और श्रेष्ठ भारत की तस्वीर में विश्व गुरु, विश्व में पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था, हिंदू राष्ट्र, 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी आदि न जाने कई नाम दिए जा रहे हैं परन्तु स्वस्थ भारत की तस्वीर के सामने ये तमाम सपने अधूरे हैं और इस सच को कौन दरकिनार करेगा कि स्वस्थ भारत ही असल मायनों में आम जन को समृद्धि के रास्तों पर ले जा सकता है।
1 फरवरी 2023 को वर्ष 2023-2024 तक के बजट पेश किये गए, चर्चा भी खूब हुई, मगर इस देश की स्थिति यह है कि ऊर्जा, आईटी, शिक्षा, रक्षा, परिवहन जैसे विभागों से भी कम बजट स्वास्थ्य के लिए आवंटित किए गए। इससे यह स्पष्ट होता है कि राष्ट्र का मौजूदा नेतृत्व स्वास्थ्य को लेकर गंभीर नहीं हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय की एक तस्वीर जानकर आपको आश्चर्य लगेगा कि इनके सामने कोविड को छोड़कर कोई दूसरी स्वास्थ्य की चुनौती नज़र नहीं आती।
पिछले कुछ वर्षों और महीनों से सरकार सक्रिय कोविड मरीजों की संख्या, चौबीस घंटों में जिन मरीजों को टीके लगाए गए उनकी संख्या, कोविड से स्वस्थ होने वाले मरीजों की संख्या आदि गैर जरूरी संख्या को गिनने में समय व्यर्थ करके, अन्य बिमारियों की संख्या को दरकिनार करके विश्व में नाम कमाने की कोशिश में लगी है। ऐसे में आपको समझना होगा कि जब एक घंटे में देश में कैंसर के 166 मरीजों की पुष्टि हुई तो सरकार क्यों लापरवाही कर रही है? क्या वजह है कि सरकार कैंसर बीमारी को लेकर गंभीर नहीं है? इस सवाल का जवाब आपको सरकार से पूछने की जरूरत है।
इस चुनौती के सामने अब आपको देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल इंदौर की भूमिका को भी समझना होगा, क्योंकि देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल इंदौर द्वारा कई ऐसे दवाओं के शोध किये गए हैं जिन दवाओं के इस्तेमाल से कैंसर के विभिन्न तकलीफों में राहत मिलती है।
देवी अहिल्या हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के कैंसर पेन एंड पैलिएटिव केयर सेंटर में वर्ष 2019 से कैंसर विषय पर एक नई दिशा में कार्य किया जा रहा है, जिसमें कैंसर रोग के इलाज सम्बंधित नए नए शोध मुख्य रूप से शामिल हैं। इस दौरान कई इलेक्ट्रो होम्योपैथी के माध्यम से दवा की खोज भी की गई है जिससे कैंसर मरीजों के असहनीय दर्द से लेकर अन्य तकलीफों में तुरंत राहत मिलती है। सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय के लिए यह संस्थान वाकई में एक नया अध्याय है और मंत्रालय द्वारा इस दिशा में कार्य किया जाना भी इस समय की मांग। इस संदर्भ में हमने भारत के स्वास्थ्य मंत्री व् अन्य राज्यों के भी स्वास्थ्य मंत्री को पत्र लिखा है, परन्तु कोई एक मंत्री भी सक्रिय नज़र नहीं आये। यह घटना हमें बतलाती है कि हमारा नेतृत्व सही लोगों के हाथों में नहीं है।
कैंसर पेन एंड पैलिएटिव केयर सेंटर का हमारा मुख्य उदेश्य कैंसर मरीजों के जीवन में खोई खुशहाली को पूर्ण रूप से वापस लाकर उन्हें एहसास दिलाना है कि ऊर्जा आधारित अविश्वसनीय मेडिकल साइंस ‘इलेक्ट्रो होम्योपैथी’ के माध्यम से कैंसर जैसी गंभीर बीमारी को भी हम हरा सकते हैं।
हमें स्वस्थ भारत की निर्माण की दिशा में कार्य करने के लिए कुछ कारकों को जानना बेहद जरूरी है, जो कैंसर होने की संभावना को बढ़ाते हैं। हमें इस घातक स्थिति से खुद को बचाने के लिए संभावित कार्सिनोजेनिक कारकों के संपर्क में आने से बचना होगा। हालांकि, अनुवांशिक कारणों से होने वाले कैंसर को रोकना हमारे बस में नहीं है, जो कैंसर होने का एक प्रमुख जोखिम कारक है।
तंबाकू या सिगरेट में मौजूद निकोटीन के सेवन से शरीर के किसी भी अंग में कैंसर हो सकता है। तंबाकू और धूम्रपान करने से आमतौर पर मुंह का कैंसर, फेफड़ों का कैंसर, एलिमेंटरी ट्रैक्ट और पैंक्रियाटिक कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है। परिवार में यदि कैंसर होने की हिस्ट्री है, तो इस खतरनाक बीमारी के होने की संभावना काफी हद तक बढ़ जाती है। पर्यावरण में कार्सिनोजेन्स का होना भी एक प्रमुख कारण में एक है। हम जो कुछ भी खाते या पीते हैं, जिस हवा में हम सांस लेते हैं, उनमें कई ऐसे तत्व या पदार्थ मौजूद होते हैं, जो कैंसर होने की जोखिम को बढ़ाने की क्षमता रखते हैं।
एज्बेस्टस, बेंजीन, आर्सेनिक, निकल जैसे कम्पाउंड फेफड़े के कैंसर के अलावा कई अन्य कैंसर होने के जोखिम को बढ़ाते हैं। कैंसर होने के अन्य कारणों में हमारी फूड हैबिट भी शामिल है। आजकल अधिकतर फल और सब्जियां कीटनाशकों से दूषित होते हैं, जिनके सेवन से शरीर पर अवांछनीय प्रभाव पड़ता है। दोबारा गर्म किए गए भोजन, अधिक पके हुए भोजन, दोबारा गर्म किए गए तेल कार्सिनोजेनिक हो जाते हैं। कल-कारखानों से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थों की वजह से प्रदूषित जल भी काफी नुकसानदायक होता है, क्योंकि इसमें खनिजों की मात्रा अधिक होती है।
कैंसर होने के संभावित कारणों में वायरस भी एक कारण है। हेपेटाइटिस बी और सी वायरस लिवर कैंसर के लिए 50 प्रतिशत तक जिम्मेदार होते हैं, जबकि ह्यूमन पैपिलोमा वायरस 99.9% मामलों में सर्वाइकल कैंसर होने के लिए जिम्मेदार होता है। साथ ही, रेडिएशन और सन एक्सपोजर भी कैंसर के जोखिम को काफी हद तक बढ़ाते हैं। हमें हर हाल में खुद को स्वस्थ रखने के लिए पौष्टिक आहार लेने की आदत के साथ साथ अपने उम्र के हिसाब से वजन का विशेष ख्याल रखना चाहिए। साथ ही व्यायाम भी प्रत्येक दिन करने की आदत अपनानी चाहिए। कैंसर का सर्वोत्तम उपचार बचाव है। यदि मनुष्य अपनी जीवन शैली में कुछ परिवर्तन करने को तैयार हो तो 60 से 70 प्रतिशत मामलों में कैंसर होने से पूर्णतः रोका जा सकता है।
कैंसर के अगर प्रमुख लक्षणों की बात करें तो सभी प्रकार के कैंसर के लक्षण एक दूसरे से अलग होते हैं। ऐसे में यह जानकारी आपके लिए बेहद महत्वपूर्ण है, ताकि समय पर लक्षणों को पहचानकर निदान और इलाज शुरू किया जा सके। त्वचा में किसी भी तरह की गांठ नजर आए तो संभवत: यह कैंसर के लक्षण हो सकते हैं। स्तन कैंसर, लिम्फ नोड्स, सॉफ्ट ऊतक और अंडकोष में होने वाले कैंसर में आमतौर पर गांठ होते हैं। तेज़ दर्द आमतौर पर हड्डी या वृषण कैंसर का शुरुआती लक्षण होता है, जबकि पीठ दर्द कोलोरेक्टल, अग्नाशय या ओवेरियन कैंसर के संकेत होते हैं।
जिन लोगों को मैलिग्नेंट ब्रेन ट्यूमर होता है, उनमें तेज सिर दर्द होने की शिकायत रहती है। तीन से चार सप्ताह तक ग्रंथियों में सूजन बने रहना ठीक नहीं है। लिम्फ नोड्स के आकार में वृद्धि होना भी कैंसर का संकेत होता है। बिना कोई कारण नजर आए यदि आपका वजन तेजी से कम होने लगे, तो यह कैंसर के पहले संकेतों में से एक हो सकता है। अग्न्याशय, पेट, फेफड़ों व् अन्य प्रकार के कैंसर से पीड़ित लोगों में वजन कम होने की समस्या मुख्य रूप से होती है। सारा दिन थकान महसूस होना भी कैंसर के महत्वपूर्ण लक्षणों में शामिल है।
ल्यूकेमिया, कोलन कैंसर होने पर थकान अधिक महसूस होती है। इसके साथ ही शरीर के किसी भी हिस्से पर हुए मोल्स या मस्से के रंग और आकार में बदलाव नजर आए, तो इसे नजर अंदाज ना करें। इस बात पर भी गौर करें कि कोई भी घाव ठीक होने में अधिक समय तो नहीं ले रहा है। कब्ज, दस्त, मल में खून आना कोलोरेक्टल कैंसर के संकेत हो सकते हैं। पेशाब करते समय दर्द के साथ खून आना ब्लैडर और प्रोस्टेट कैंसर के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं। एनीमिया होने पर लाल रक्त कोशिका में भारी कमी आ जाती है। यह हेमटोलॉजिकल कैंसर का संकेत हो सकता है।
कैंसर के स्टेजेज के बारे में जानकारी होना हम सभी के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। इसके आधार पर हम यह अनुमान लगा सकते हैं कि कैंसर कितने गंभीर रूप में है। कैंसर का पहले स्टेज में ट्यूमर छोटा होता है और कैंसर कोशिकाएं शरीर के सिर्फ एक हिस्से में फैलती हैं। दूसरा और तीसरा स्टेज में ट्यूमर का आकार बड़ा हो जाता है और कैंसर कोशिकाएं पास स्थित अंगों और लिम्फ नोड्स में भी फैलने लगती हैं। चौथा स्टेज कैंसर का आखिरी और बेहद खतरनाक स्टेज होता है, जिसे मेटास्टेटिक कैंसर भी कहते हैं।
इस स्टेज में कैंसर शरीर के दूसरे अंगों में लिम्फ सिस्टम या ब्लड के जरिए फैल जाता है। देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल इंदौर में इस वक्त थर्ड और फोर्थ स्टेज के कैंसर मरीजों का भी इलाज बहुत सामान्य तरिके से किया जा रहा है। यहां के चिकित्सक इलेक्ट्रो होम्योपैथी दवा से मरीजों को होने वाले सभी तकलीफों में राहत दिलाने में सौ फीसद सफल हैं।
देवी अहिल्या हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर का कैंसर पेन एंड पैलिएटिव केयर सेंटर प्राकृतिक तरिके से कैंसर का उपचार का आज सबसे चर्चित इलेक्ट्रो होम्योपैथी का केंद्र है। यह भारत का पहला कैंसर मरीजों के लिए 100 बिस्तर से लैस आधुनिक इलेक्ट्रो होम्योपैथिक कैंसर पेन एंड पैलिएटिव केयर सेंटर है, जहां पूरी तरह से औषधीय पौधों पर आधारित इलेक्ट्रो होम्योपैथी का उपयोग दवा की प्रणाली के साथ-साथ उपचार के रूप में किया जाता है।
देश विदेश से आने वाले कैंसर मरीजों के लिए यहां अत्यधिक सुसज्जित आधुनिक आईसीसीयू, क्रिटिकल केयर उपकरण, क्रिटिकल केयर एंबुलेंस, पैथोलॉजी, फार्मेसी आदि सुविधाएं 24 घंटे प्रदान की जाती है। इसके साथ ही यहां कैंसर रोगियों के इलाज में उत्कृष्ट और अनोखा परिणाम देने के लिए नवीनतम तकनीक से लैस उच्च योग्य और अनुभवी टीम के साथ आपातकालीन चिकित्सकों की भी मौजूदगी रहती है, जो समर्पित होकर कैंसर मरीजों की देख रेख में 24/7 अपनी सेवाएं देते हैं।
इस पैलिएटिव केयर सेंटर में इलाज के दौरान पूर्ण रूप से औषधीय पौधों पर आधारित इलेक्ट्रो होम्योपैथी दवाई ‘ऑन्को फोर्टे’ प्रयोग किया जाता है, जिससे न केवल कम समय में मरीजों को कैंसर के असहनीय दर्द में राहत मिलती है बल्कि कैंसर ट्यूमर के दर्द और जलन में भी कमी आती है और इसके साथ साथ मरीजों के ऊर्जा स्तर में भी सुधार होता है।
पैलिएटिव केयर सेंटर के इलाज में सभी तरह के कैंसर के दर्द से निवारण प्राप्त होता है, जैसे- मुंह का कैंसर, फेफड़ों का कैंसर, स्तन कैंसर, गले का कैंसर, लिवर कैंसर, ब्रेन कैंसर, बच्चेदानी का कैंसर, पेट का कैंसर, लंग कैंसर, बोन कैंसर इत्यादि। इस पैलिएटिव केयर सेंटर की सबसे अच्छी बात यह है कि इलाज के दौरान प्रयोग की जाने वाली दवाइयों से कैंसर रोगियों पर किसी भी प्रकार का दुष्प्रभाव नहीं होता है और इस इलाज से बहुत से मरीजों के जीवन में बढ़त भी देखी गई है।
यहां उच्च तकनीक से लैस डायग्नोस्टिक टूल ‘बायो एनर्जी इमेजिंग’ मशीन से एनर्जी लेवल की जाँच की सुविधा भी समय समय पर उपलब्ध करायी जाती है, जिससे कि सम्पूर्ण इलाज के दौरान स्वास्थ्य में सांख्यिकीय एवं वैज्ञानिक रूप से सुधार की तुलना की जा सके।
देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल द्वारा वर्ष 2023 का थीम ‘कैंसर की जंग जीतेंगे हम’ रखा गया है। इस थीम को रखने का मुख्य उदेश्य यही है कि यह संदेश अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचे कि कैंसर बीमारी को पूर्ण रूप से हराने के लिए हमारे पास तमाम विकल्प मौजूद हैं। इस आलेख को पढ़ने वाले प्रिय पाठकों से निवेदन है कि अगर कैंसर बीमारी से सम्बंधित ऑनलाइन परामर्श चाहते हैं तो बिना किसी झिझक के हमारे हेल्पलाइन नंबर 9584040131 पर आज ही संपर्क करें।
डॉ. अजय हार्डिया,
मशहूर कैंसर रोग विशेषज्ञ,
निदेशक, देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल इंदौर