भारत में कैंसर के वैकल्पिक इलाज की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए, देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल, इंदौर द्वारा एक विस्तृत और प्रमाणिक कैंसर केस स्टडी रिपोर्ट केंद्र सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ़ हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर के अधीन डिपार्टमेंट ऑफ़ हेल्थ रिसर्च को प्रस्तुत की गई। इस रिपोर्ट में फेफड़ों, लिवर, स्तन, गॉल ब्लैडर जैसे गंभीर और मेटास्टेटिक स्टेज के कैंसर मरीजों के इलेक्ट्रो होम्योपैथी से सफल इलाज के दस्तावेज़, PET/CT स्कैन रिपोर्टों सहित शामिल किए गए हैं। रिपोर्ट डॉ. अजय हार्डिया के नेतृत्व में स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग के डायरेक्टर डॉ. बी. बी. सानेपाटी और अंडर सेक्रेटरी को औपचारिक रूप से सौंपी गई।
इलेक्ट्रो होम्योपैथी रिसर्च:
डॉ. अजय हार्डिया जो देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल के संस्थापक और इलेक्ट्रो होम्योपैथी रिसर्च को समर्पित चिकित्सा वैज्ञानिक हैं ने बताया कि यह रिपोर्ट न केवल एक चिकित्सा दस्तावेज़ है, बल्कि हजारों मरीजों की जीवित गवाही है जिन्होंने कैंसर के अंतिम चरण में भी जीवन पाया। उन्होंने कहा, ‘हमने वैज्ञानिक प्रमाणों के साथ यह साबित किया है कि इलेक्ट्रो होम्योपैथी एक असरदार, सुरक्षित और साक्ष्य-आधारित प्रणाली है, जिसे अब और नजरअंदाज़ नहीं किया जा सकता।
‘ ‘यह रिपोर्ट उन हज़ारों मरीजों की आवाज़ है जो कैंसर से पूरी तरह मुक्त हुए हैं। हमारा उद्देश्य है कि भारत सरकार इस प्रणाली को उचित मान्यता देकर इसे आम जनता तक पहुंचाए। हम सरकार से आग्रह करते हैं कि देश के किसी भी केंद्रीय अस्पताल में इलेक्ट्रो होम्योपैथी का पर्यवेक्षण में क्लिनिकल ट्रायल शुरू करवाया जाए।’
केस स्टडी रिपोर्ट डिपार्टमेंट
यह केस स्टडी रिपोर्ट डिपार्टमेंट ऑफ़ हेल्थ रिसर्च के डायरेक्टर और अंडर सेक्रेटरी को सौंप दी गई है, तथा इसे इंटर-डिपार्टमेंटल कमेटी (IDC) के चेयरमैन डॉ. वी. एम. खटोच को भेजा जाएगा, जो इलेक्ट्रो होम्योपैथी की मान्यता के लिए एक महत्वपूर्ण दस्तावेज़ साबित होगी। डिपार्टमेंट ऑफ़ हेल्थ के सेक्रेटरी और डायरेक्टर ने भी इसे इस क्षेत्र में एक निर्णायक दस्तावेज़ बताया है। देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल इंदौर की मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्रीमती मनीषा शर्मा ने कहा,
‘यह रिपोर्ट केवल इलाज नहीं, बल्कि उम्मीद की कहानी है। हमने उन मरीजों का डेटा प्रस्तुत किया है जिन्हें या तो एलोपैथी में इलाज से मना कर दिया गया था या वे अंतिम अवस्था में थे। इलेक्ट्रो होम्योपैथी ने उन्हें न केवल जीवन दिया, बल्कि जीने की गुणवत्ता भी बेहतर की। यह समय है जब भारत अपने ही देश में विकसित हो रही एक संभावनाशील चिकित्सा प्रणाली को पहचान दे।’
वैज्ञानिक और चिकित्सीय दृष्टिकोण:
इलेक्ट्रो होम्योपैथी एक साक्ष्य-आधारित (evidence-based), पूर्णतः पौधों पर आधारित (plant-derived) चिकित्सा प्रणाली है, जिसे Count Cesare Mattei द्वारा 1865 में विकसित किया गया। यह प्रणाली शरीर की ऊर्जा प्रणाली (bio-energy), रक्त एवं लसीका प्रणाली के संतुलन पर कार्य करती है।
प्रस्तुत रिपोर्ट के मुख्य तथ्य:
रिपोर्ट डॉ. बी. बी. सानेपाटी (डायरेक्टर, डिपार्टमेंट ऑफ़ हेल्थ रिसर्च) और अंडर सेक्रेटरी, हेल्थ रिसर्च को सौंपा गया।
इस रिपोर्ट में 8 कैंसर मरीजों का डेटा सहित मेटास्टेटिक कार्सिनोमा (Metastatic Carcinoma) व् एडवांस स्टेज कैंसर से पीड़ित रोगियों के इलेक्ट्रो होम्योपैथी द्वारा उपचार के दस्तावेज़ शामिल हैं।
उपचार प्रक्रिया में इलेक्ट्रो होम्योपैथी हर्बल मेडिसिन प्रोटोकॉल का पालन किया गया, जिससे कई मरीज पूर्णतः स्वस्थ घोषित किए गए।
रिपोर्ट में शामिल मेटास्टेटिक/टर्मिनल स्टेज के मरीज थे, जिन्हें एलोपैथिक चिकित्सा ने असंभव करार दिया था।
रिपोर्ट में PET/CT और CECT स्कैन के द्वारा इलाज से पहले और बाद की स्पष्ट तुलना की गई है, जो वैज्ञानिक रूप से इलेक्ट्रो होम्योपैथी की प्रभावशीलता दर्शाती है।
इलाज के बाद दिखे परिणाम:
दर्द, सूजन, खांसी, सांस की तकलीफ, ब्लीडिंग जैसे लक्षणों में तुरंत राहत
कुछ मामलों में ट्यूमर का आकार कम होना या गायब हो जाना
कई मामलों में कुल रेमिशन (complete remission)
डॉक्टर्स डे पर पेश होगी कैंसर उपचार में क्रांति लाने वाली रिपोर्ट
1 जुलाई को राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस के अवसर पर उज्जैन में आयोजित कार्यक्रम में “कैंसर मुक्त जीवन की ओर” मुहिम के तहत एक ऐतिहासिक और वैज्ञानिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण रिपोर्ट का सार्वजनिक विमोचन किया जाएगा। यह रिपोर्ट देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल, इंदौर द्वारा तैयार की गई है, जिसमें मेटास्टेटिक और टर्मिनल स्टेज के कैंसर मरीजों के PET/CT स्कैन सहित ऐसे केस दर्ज हैं, जिनका सफल उपचार इलेक्ट्रो होम्योपैथी के माध्यम से हुआ।
यह रिपोर्ट न केवल चिकित्सा क्षेत्र में शोध और नवाचार का उदाहरण है, बल्कि यह दर्शाती है कि जब परंपरागत चिकित्सा सीमित हो जाती है, तब स्वदेशी और वैज्ञानिक विकल्प नए द्वार खोल सकते हैं। इस दस्तावेज़ के सार्वजनिक मंच से प्रस्तुत होने का उद्देश्य न सिर्फ़ कैंसर उपचार के प्रति जागरूकता फैलाना है, बल्कि देशभर के डॉक्टरों, नीति-निर्माताओं और शोधकर्ताओं को यह दिखाना भी है कि भारतीय चिकित्सा प्रणाली में छिपी संभावनाएं अब प्रमाणों के साथ सामने आ चुकी हैं — और उन्हें अनदेखा नहीं किया जा सकता।
इलेक्ट्रो होम्योपैथी की भूमिका:
यह प्रणाली ग्रामीण व दूरस्थ क्षेत्रों में भी प्रभावी रूप से लागू की जा सकती है क्योंकि:
इसके लिए महंगे मशीनरी या अत्याधुनिक सेटअप की आवश्यकता नहीं।
दवाएं कम लागत की, सरल और सुरक्षित हैं।
डॉक्टर/प्रैक्टिशनर को कम संसाधनों में ट्रेनिंग दी जा सकती है।
हर जिले में 1 इलेक्ट्रो होम्योपैथी केंद्र खोलने से कैंसर के इलाज को पूरे देश में पहुँचाया जा सकता है।
नीतिगत एवं कानूनी दृष्टिकोण: अब तक क्या हुआ है?
राजस्थान सरकार 2018 में इस प्रणाली को विधायी मान्यता दे चुकी है।
मध्य प्रदेश AYUSH विभाग ने विशेषज्ञ समिति गठित कर सिफारिश की है।
अब तक भारत सरकार को कई बार ज्ञापन, डेटा और रिपोर्टें सौंप दी गई हैं।
IDC (Inter-Departmental Committee) ने 6 बार मीटिंग की है, लेकिन अब तक कोई निर्णायक कार्रवाई नहीं हुई।
अब क्या ज़रूरत है?
केंद्र सरकार द्वारा इलेक्ट्रो होम्योपैथी को एक स्वतंत्र चिकित्सा पद्धति के रूप में मान्यता देना।
क्लिनिकल ट्रायल्स की अनुमति, ताकि इस पर वैज्ञानिक रिसर्च को और विस्तार दिया जा सके।
राष्ट्रीय स्तर पर इलेक्ट्रो होम्योपैथी बोर्ड या काउंसिल का गठन।
रोगी केंद्रित दृष्टिकोण: इलेक्ट्रो होम्योपैथी से कैंसर पर जीत, प्रमाणिक रिपोर्ट सरकार को प्रस्तुत
रामविशाल यादव – फेफड़ों का कैंसर (Lung Carcinoma): इलाज के बाद कोई भी सक्रिय ट्यूमर शेष नहीं रहा। मरीज को सांस लेने में राहत, दर्द में कमी और सामान्य जीवन की ओर वापसी मिली।
रणजीत सिंह – कोलेन्जियोकार्सिनोमा (Bile Duct Cancer): पहले इलाज के बाद रोग दोबारा उभर आया था, लेकिन इलेक्ट्रो होम्योपैथी के तहत इलाज मिलने पर मरीज पूरी तरह रोगमुक्त हुआ।
देव रानी सिन्हा – एडवांस लंग कैंसर (ECOG-3 ग्रेड): इलाज पल्लिएटिव था, लेकिन इसके बाद मरीज के दर्द, खांसी, ब्लीडिंग और कमजोरी में अभूतपूर्व सुधार हुआ। फॉलो-अप PET-CT रिपोर्ट में कोई सक्रिय मेटास्टेसिस नहीं मिला।
बाबूराम – लिवर कैंसर (मेटास्टेटिक स्टेज): टर्मिनल स्टेज पर पहुंच चुके मरीज की स्थिति इलाज के बाद स्थिर हुई, और जीवन की गुणवत्ता में स्पष्ट सुधार देखने को मिला।
ममता कर्तिकेय – ब्रेस्ट कैंसर (ER/PR-पॉजिटिव): कीमोथेरेपी के गंभीर दुष्प्रभावों के चलते इलाज छोड़ा गया। इसके बाद इलेक्ट्रो होम्योपैथी से उपचार कराकर रेडियोलॉजिकल रेमिशन प्राप्त हुआ — यानि कैंसर पूरी तरह समाप्त।
वीरेंद्र कुमार मौर्य – पेरियाम्पुलरी ट्यूमर: ERCP और स्टेंटिंग के बाद मरीज ने सफल पैंक्रियाटिक सर्जरी करवाई। इलेक्ट्रो होम्योपैथी के सहायक उपचार से लिवर फंक्शन में निरंतर सुधार हुआ।
सुधीर कुमार – मुँह का कैंसर: दिल्ली निवासी इस युवक को गंभीर दर्द और अल्सर थे। इलेक्ट्रो होम्योपैथी द्वारा उपचार के बाद पूरी तरह घाव और दर्द से मुक्ति मिली।
मधु शर्मा – मेटास्टेटिक गॉल ब्लैडर कैंसर: इलाज से मरीज को लक्षणों में राहत और ट्यूमर पर आंशिक नियंत्रण प्राप्त हुआ, जिससे जीवन की गुणवत्ता बेहतर हुई।
इलेक्ट्रो होम्योपैथी केवल चिकित्सा प्रणाली नहीं, यह एक नवीन भारतीय समाधान है—स्वदेशी, वैज्ञानिक, सस्ता और सुरक्षित। यदि भारत सरकार इसे मान्यता देती है तो लाखों कैंसर मरीजों को राहत मिलेगी, स्वास्थ्य खर्च में बड़ी कटौती होगी, स्वदेशी चिकित्सा को वैश्विक पहचान मिलेगी।
राष्ट्रीय मान्यता की मांग:
रिपोर्ट में भारत सरकार से दो प्रमुख अनुरोध किए गए हैं:
IDC और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा अस्पतालों का निरीक्षण
किसी केंद्रीय अस्पताल में इलेक्ट्रो होम्योपैथी के क्लिनिकल ट्रायल की अनुमति
टीम का परिचय:
डॉ. अजय हार्डिया के साथ इस कार्य में शामिल विशेषज्ञ टीम में शामिल हैं:
श्रीमती मनीषा शर्मा – मेडिकल रिसर्च कोऑर्डिनेटर
डॉ. आशीष हार्डिया (M.B.B.S.)
डॉ. मोनिका हार्डिया (M.B.B.S., M.S.)
डॉ. राज नंदिनी हार्डिया (M.D.S., ओरल पैथोलॉजी)
अब और देर नहीं! सरकार को चाहिए कि IDC टीम से अस्पताल का निरीक्षण करवाया जाए, राष्ट्रीय स्तर पर क्लिनिकल ट्रायल्स की अनुमति दी जाए, इलेक्ट्रो होम्योपैथी को स्वीकृत चिकित्सा पद्धति का दर्जा दिया जाए।
2 thoughts on “डॉ. अजय हार्डिया ने केंद्र सरकार को सौंपी कैंसर केस स्टडी रिपोर्ट, इलेक्ट्रो होम्योपैथी को मान्यता की माँग तेज़”
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Great Dr.Ajay Hardia sir,Best Achievement in Electro Homoeopathy Medical records. Best of Luck sir.