➤ इलेक्ट्रो होम्योपैथी से कैंसर का इलाज संभव है – दिल्ली की 68 वर्षीय मधु शर्मा इसका जीता-जागता प्रमाण हैं। उन्होंने देवी अहिल्या कैंसर अस्पताल में इस वैकल्पिक पद्धति से जीवनदान पाया।
➤ PET-CT में कैंसर की पुष्टि, फॉलोअप स्कैन में ट्यूमर पूरी तरह खत्म
➤ इलेक्ट्रो होम्योपैथी पद्धति से बिना ऑपरेशन और कीमोथेरेपी के संभव हुआ इलाज
मरीज परिचय: नाम: मधु शर्मा, उम्र: 68 वर्ष, निवासी: दिल्ली
रोग: मेटास्टैटिक गॉलब्लैडर-लिवर कैंसर, इलाज का स्थान: देवी अहिल्या कैंसर अस्पताल
समयावधि: 5 माह में उल्लेखनीय सुधार
शुरुआती रिपोर्ट – PET-CT स्कैन से मिला खतरे का संकेत
5 महीने पहले दिल्ली की मधु शर्मा पेट के तेज़ दर्द के कारण अस्पताल पहुँचीं। उन्हें लगा कि यह सिर्फ एक साधारण पथरी का मामला है। लेकिन मामला कहीं ज़्यादा गंभीर था। शुरुआती दवाओं और गाज़ियाबाद में एक हफ्ते की अस्पताल भर्ती के बाद जब आराम नहीं मिला, तब उन्हें और उनके परिवार को सलाह दी गई कि वे इंदौर के देवी अहिल्या कैंसर अस्पताल में इलाज कराएं।
8 नवंबर 2024 को करवाए गए FDG PET-CT स्कैन में निम्नलिखित चिंताजनक बिंदु सामने आए:
गॉलब्लैडर फोसा में 3.4 x 3.6 सेमी की एक FDG avid गाँठ देखी गई। SUV max: 13.0 – यह बहुत ज्यादा सक्रियता का सूचक है, जो कैंसर जैसी कोशिकाओं की हलचल को दर्शाता है। गाँठ अलग-अलग मोटाई वाली थी। यह गाँठ लिवर के सेगमेंट V में फैलती दिखाई दी – जो आसपास की ऊतकों में फैलने की प्रवृत्ति की पुष्टि करता है। द्वितीय डुओडेनम (छोटी आंत) और कोलन का हेपेटिक फ्लेक्सर – इन दोनों अंगों से जुड़ी चर्बी की परत साफ़ नहीं थीं, जिससे यह संकेत मिला कि ट्यूमर आसपास के अंगों में भी फैल रहा था। आसपास की चर्बी वाले हिस्से में सूजन देखी गई, जो संक्रमण या कैंसर की आक्रामक प्रकृति को दिखाती है। CBD (कॉमन बाइल डक्ट) और CHD (कॉमन हेपेटिक डक्ट) – ये दोनों नलियाँ फैली हुई थीं, जिससे साफ संकेत मिला कि पित्त का प्रवाह अवरुद्ध था।
कैंसर के फैलाव (मेटास्टैसिस) की संभावना को दर्शाते हुए कुछ FDG avid लिम्फ नोड्स भी पाए गए:
पेरीपोर्टल लिम्फ नोड का आकार लगभग 1.0 x 1.0 सेमी है और इसमें SUV max 2.4 पाई गई है, जो यह दर्शाता है कि इसमें हल्की FDG सक्रियता है। इसके अलावा, पोर्टोकैवल और एऑर्टोकैवल लिम्फ नोड्स में भी FDG को सोखने की प्रवृत्ति देखी गई है। यह FDG सक्रियता कैंसर की कोशिकाओं के फैलाव की संभावना को दर्शा सकती है।
इलाज की दिशा बदलती है – इलेक्ट्रो होम्योपैथी बनता है सहारा
जहाँ परंपरागत चिकित्सा प्रणाली में इस स्टेज पर मरीज को कीमोथेरेपी, ऑपरेशन और रेडिएशन जैसे विकल्प दिए जाते हैं, वहीं मधु शर्मा ने दूसरी तरह की चिकित्सा – इलेक्ट्रो होम्योपैथी को अपनाने का निर्णय लिया। उनका इलाज डॉ. अजय हार्डिया के निर्देशन में देवी अहिल्या कैंसर अस्पताल, इंदौर में शुरू हुआ। इलाज में न तो दर्द हुआ, न कीमोथेरेपी की जरूरत पड़ी। मरीज को इलेक्ट्रो होम्योपैथी दवाओं से राहत दी गई।
मधु शर्मा बताती हैं: मुझे इलाज के पहले ही सप्ताह में आराम महसूस हुआ। पेट का दर्द, पैरों का दर्द और पुराना सर्वाइकल सब धीरे-धीरे ठीक होने लगा। आज मैं सामान्य जीवन जी रही हूँ – मैं चल-फिर रही हूँ, खाना खा रही हूँ और हाल ही में कुंभ स्नान भी करके आई हूँ।
28 अप्रैल 2025 को मधु शर्मा का फॉलो अप CECT स्कैन किया गया। इस रिपोर्ट में चिकित्सा जगत के लिए आश्चर्यजनक परिवर्तन दर्ज हुआ।
फॉलो अप रिपोर्ट के मुख्य बिंदु:
लिवर: आकार सामान्य (124 मिमी), कोई फोकल मास या ट्यूमर नहीं पाया गया, मतलब: ट्यूमर पूरी तरह गायब
लिवर के भीतर की पित्त नलिकाएँ: पूरी तरह सामान्य अवस्था में
मुख्य रक्त वाहिकाएँ: सीलियक ट्रंक, सुपीरियर मेसेंटेरिक आर्टरी, इन्फीरियर मेसेंटेरिक आर्टरी, पोर्टल वेन, सुपीरियर मेसेंटेरिक वेन, इन्फीरियर मेसेंटेरिक वेन, और हेपेटिक वेन्स सभी खुले और सामान्य पाए गए हैं। यह दर्शाता है कि रक्त वाहिकाएँ पूरी तरह सामान्य हैं। इनमें कोई रुकावट नहीं है।
मेटास्टैटिक गॉलब्लैडर-लिवर कैंसर → फैलने वाला पित्ताशय और जिगर का कैंसर
FDG avid गाँठ → ऐसी गाँठ जिसमें कैंसर की सक्रिय कोशिकाएँ पाई गईं
जांच स्थिति निष्कर्ष
PET-CT (8 नवंबर 2024) FDG avid गाँठ, SUV 13.0, लिम्फ नोड्स सक्रिय, लिवर में फैलाव कैंसर की प्रबल संभावना
Follow-up CECT (28 अप्रैल 2025) लिवर सामान्य, कोई गाँठ नहीं, रक्त प्रवाह सामान्य ट्यूमर पूरी तरह गायब
मधु शर्मा का संदेश: जो भी कैंसर जैसी बीमारी से जूझ रहे हैं, मैं उनसे कहना चाहती हूँ कि उम्मीद मत छोड़िए। इलेक्ट्रो होम्योपैथी से मुझे आराम मिला और अब मैं पूरी तरह स्वस्थ हूँ। देवी अहिल्या कैंसर अस्पताल का माहौल बहुत अच्छा है। सभी मरीजों को यहाँ एक बार इलाज अवश्य करवाना चाहिए। “हमारे लिए यह सिर्फ एक मरीज का इलाज नहीं था, यह एक जीवन को वापस उसकी संपूर्णता में लौटाने की यात्रा थी।
देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल में हम मेटास्टैटिक थर्ड और फोर्थ स्टेज के कैंसर मरीजों का बिना कीमोथेरेपी, ऑपरेशन और रेडिएशन के इलाज कर रहे हैं – और वह भी पूरी सफलता के साथ। मधु शर्मा का केस इस बात का जीता-जागता प्रमाण है कि जब चिकित्सा में करुणा, विश्वास और वैकल्पिक पद्धति का सही समन्वय हो, तो कैंसर जैसी घातक बीमारी भी मात खा सकती है। सिर्फ 5 महीने में उनका ट्यूमर पूरी तरह खत्म हो गया। यह बिना किसी ऑपरेशन या प्रक्रिया के हुआ। हमारी इलेक्ट्रो होम्योपैथी आधारित औषधियाँ आज उन मरीजों के लिए अमृत सिद्ध हो रही हैं, जो खुद को अंतिम चरण में मान चुके थे। हमारी शोध और समर्पण ने हजारों मरीजों को नया जीवन दिया। हम आगे भी इसी मिशन पर काम करते रहेंगे।
– डॉ. अजय हार्डिया, निदेशक, देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल।
“हम देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल परिवार की ओर से यह घोषणा करते हुए अत्यंत गर्व और हर्ष का अनुभव कर रहे हैं कि थर्ड-फोर्थ स्टेज मेटास्टैटिक गॉलब्लैडर कैंसर से जूझ रही दिल्ली निवासी मधु शर्मा अब पूर्णतः स्वस्थ हैं। यह न केवल चिकित्सा क्षेत्र के लिए एक प्रेरणादायक उपलब्धि है, बल्कि हजारों कैंसर मरीजों के लिए एक नई आशा की किरण भी है। हमारा संस्थान वर्षों से इस मिशन पर कार्यरत है कि गंभीर से गंभीर कैंसर को भी बिना सर्जरी, कीमोथेरेपी या रेडिएशन के, इलेक्ट्रो होम्योपैथी जैसी वैकल्पिक चिकित्सा तरीका के माध्यम से सुरक्षित, दर्दरहित और प्रभावी इलाज प्रदान किया जा सके। डॉ. अजय हार्डिया के नेतृत्व में चल रहे इस उपचार मॉडल ने न केवल मधु शर्मा को नया जीवन दिया है, बल्कि ऐसे हज़ारों रोगियों को आश्वस्त किया है कि ‘अब भी उम्मीद बाकी है।
– श्रीमती मनीषा शर्मा, सीईओ, देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल
“मधु शर्मा का केस उन सभी मरीजों के लिए एक उदाहरण है जो यह मान चुके हैं कि कैंसर का अंतिम स्टेज अंत का संकेत है। उनकी रिपोर्ट्स इस बात की पुष्टि करती हैं कि जब चिकित्सा में विज्ञान के साथ विश्वास और संवेदना जुड़ जाती है, तो परिणाम चमत्कारी हो सकते हैं।” “हम आने वाले समय में इस नवाचार और उपचार प्रणाली को और अधिक व्यापक स्तर पर पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध हैं, ताकि भारत ही नहीं, दुनिया के हर कोने तक यह संदेश जाए – कैंसर अब अंत नहीं है।”
– डॉ. आशीष हार्डिया, उप निदेशक, देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल